इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साफ़ शब्दों में कहा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साफ़ शब्दों में कहा है कि :
👉 समस्त याची सहायक अध्यापक बनने की योग्यता रखते हैं। आर्टिकल 14 तथा 16 सरकारी नौकरियों में समानता के अधिकार की बात करते हैं। शिक्षा मित्रों के समायोजन से याचियों के अधिकार साफ़ तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित ही नहीं बल्कि लगभग समाप्त हो रहे हैं।

👉 शिक्षा मित्र स्कीम मात्र शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए चलाई गई थी, न कि रोजगार के साधन के रूप में। शिक्षा मित्र केवल एक सामुदायिक सेवक मात्र हैं। नियुक्ति के समय प्रत्येक शिक्षा मित्र को इस तथ्य का ज्ञान था।
👉 चाहे शिक्षा मित्रों ने कई वर्षों तक बच्चों को शिक्षा दी है फिर भी टीईटी से छूट दिया जाना संभव नहीं है। टीईटी के द्वारा शिक्षकों की योग्यता के स्तर का ज्ञान होता है।
👉 शिक्षा मित्रों की नियुक्ति न तो स्वीकृत पदों पर हुई तथा न ही यह निर्धारित न्यूनतम योग्यता पूर्ण करते हैं। अतः इनकी नियुक्ति गैर कानूनी है अतः इन्हें स्थायी नहीं किया जा सकता।
👉 अनुभव को योग्यता के बराबर अथवा उसका 'substitute' नहीं कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने किसी पद कई वर्ष कार्य कर के अनुभव प्राप्त किया है फिर भी उस व्यक्ति को सम्बन्धित पद के लिए निर्धारित योग्यता प्राप्त करनी ही होगी। मानवता को आधार मान कर ऐसे व्यक्तियों को निर्धारित योग्यता से छूट नहीं दी जा सकती जबकि निर्धारित योग्यता रखने वाले व्यक्ति मौजूद हैं। यह मानवता का ही आधार है जो कोर्ट योग्य व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति से बेहतर समझती है जो निर्धारित योग्यता भी न रखता हो। 
(State of MP vs. Dharam Bir, SC)

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