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72825 शिक्षक भर्ती , प्रशिक्षण पूरा फिर भी नहीं मिली मौलिक नियुक्ति : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

प्राथमिक स्कूलों में 72 हजार शिक्षकों की भर्ती पर सरकार पूरी तरह गंभीर नजर नहीं आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के दबाव में सरकार ने जैसे-तैसे करीब 58 हजार शिक्षकों को नियुक्त कर दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में सहायक अध्यापक बनाने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
आठ महीने से भी अधिक प्रशिक्षण पाने के बाद भी युवा प्रशिक्षु शिक्षक ही बने हैं।

अनदेखी का आलम यह है कि छह माह की जगह तमाम युवाओं ने आठ माह का प्रशिक्षण ले लिया है, लेकिन नियमित होने का नियुक्ति पत्र और शिक्षक का वेतनमान नहीं मिल पा रहा है।
 इन प्रशिक्षुओं को अभी तक सिर्फ चार महीने का मानदेय मिला है जबकि काम करते हुए इन्हें करीब आठ महीने हो चुके हैं। इस कारण से इन युवाओं को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। अभी तो यही भी पता नहीं है कि इनको बाकी महीनों का मानदेय कब तक मिलेगा। इससे ये प्रशिक्षु तनाव के शिकार हो रहे है और इनमें निराशा का भाव देखा जा रहा है।

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में 72825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए युवाओं को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। पहले हाईकोर्ट में उन्होंने केस जीता। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किसी तरह यह भर्ती शुरू हुई। इसके बाद करीब 58 हजार शिक्षकों को तैनाती भी मिली। परिषद के सचिव ने सभी को बतौर प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्ति दी। तीन महीने क्रियात्मक प्रशिक्षण विद्यालय में एवं इतने दिन का ही सैद्धांतिक प्रशिक्षण बीआरसी में देने का निर्देश हुआ। सभी को इस दौरान मानदेय के रूप में 7300 रुपए मिले, युवाओं से कहा गया कि प्रशिक्षण पूरा होते ही उन्हें शिक्षकों का वेतनमान दिया जाएगा।

प्रशिक्षु शिक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया जनवरी से ही शुरू हो गई। शुरुआती दौर में जो प्रशिक्षु शिक्षक बने वह छह की जगह आठ महीने का प्रशिक्षण पा चुके हैं। प्रशिक्षु शिक्षकों के दबाव में बीते माह 24 एवं 25 अगस्त को उनकी परीक्षा सूबे के सभी जनपदों में कराई गई जिसमें 43 से अधिक प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। उसका परिणाम भी 21 सितंबर को जारी हो गया है। इसके बाद भी प्रशिक्षु शिक्षकों को नियमित करने व बचे शिक्षकों की परीक्षा कराने पर शासन गंभीर नहीं है, वहीं शिक्षामित्रों को तैनाती देने के लिए शासन ने नियम-कानून बदलकर सारे रास्ते खोल दिए थे। शासन के इस दोहरे रवैये से युवा आहत हैं और अब नियमित होने के लिए भी आंदोलन करने की तैयारी में हैं।

सरकार जहां इन टेट पास युवाओं के लिए प्रक्रिया को धीमा या कभी-2 नजर आता है कि जैसे प्रक्रिया रुकी हुई है। वहीं शिक्षामित्र पर आए हाईकोर्ट के फैसले के बाद उन्हें बचाने के लिए हर दांव चल रही है।

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