02 नवम्बर को न्यायाधीश ने कर दिया आश्वस्त , हम अपने लक्ष्य के सन्निकट : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

"कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, हारा वही है जो लड़ा नहीं"
सर्वप्रथम मैं अपने सभी शुभेक्षुओं को ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने हमारे वर्षों के स्वपन को साकार करने के लिए हमारा कंधे-से-कन्धा मिलाकर हरकदम साथ देते रहे हैं, जिसके फलस्वरूप हम निरंतर एवं तीव्रतम गति से सफलता अर्जित कर रहे हैं! साथ ही साथ आज हम लक्ष्य के एकदम नजदीक आ पहुचे हैं!


दि० 02 नवम्बर को सर्वोच्च न्यायालय की पावन भूमि पर हमारे अधिवक्ता श्रीमान आनंद नंदन जी द्वारा प्रदेश के योग्य बेरोजगारों की असहनीय पीड़ा के प्रस्तुतिकरण के दौरान मा० दीपक मिश्रा जी की भाव-भंगिमा को देखकर ह्रदय प्रफुलित हो उठा! संवैधानिक मानकों के उल्लंघन एवं योग्य बेरोजगारों की पीड़ा सुनकर मा० दीपक मिश्रा जी द्वारा तत्काल तत्परता से आदेश लिखवाना आरम्भ करना मन को आनंद विभोर कर रहा हैं! यद्धपि शिक्षामित्रों के अधिवक्ता श्रीमान अभिषेक श्रीवास्तव द्वारा अवांक्षित व्यवधान उत्पन्न कर मिश्रा जी की कलम को अल्प-समयकाल के लिए रोकने का प्रयास किया गया! परन्तु मा० मिश्रा जी को सम्पूर्ण परिस्थितियां समझने में देर न लगी! उन्होंने हमारे अधिवक्ता से सचिव, बेसिक शिक्षा द्वारा दाखिल काउंटर एफिडेविट को साथ ले गये और उसका अध्ययन कर आदेश में रिक्तियों की संख्या स्वयं उल्लेखित कर चिंता व्यक्त की! आप सभी शुभेक्षुओं के आशीर्वाद से हम मा० सर्वोच्च न्यायालय को प्रदेश में शिक्षकों की भयावह कमी व योग्यताओं की उपेक्षा से अवगत कराने में आखिरकार सफल हुए! 02 नवम्बर को मा० न्यायाधीश की भाव-भंगिमा ने मुझे आश्वस्त कर दिया कि अब हम अपने लक्ष्य के सन्निकट आ पहुचे हैं!
साथियों विगत 4 वर्षों से हमारा संघर्ष मात्र ७२८२५ विज्ञापित पदों के 'चयन के आधार' पर संकेंद्रित रहा! इस संघर्ष में भी हमने विजय प्राप्त की, परन्तु सीमित पदों की भर्ती की वजह से हमारे संघर्ष के कई साथी अपने स्वप्नों को मूर्त रूप देने में असफल हो गये! निराशा एवं अवसाद का दौर जारी हो गया था फिर भी हमने हार न मानी! संभावनाओं की कमी न थी, आवश्यकता थी तो सकारात्मक जिजीविषा एवं विधिसम्मत प्रयास की!
''मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर,लोग जुड़ते गये और कारवां बढ़ता गया।''
असीम संभावनाओं को देखते हुए सकारात्मक सोच बलवती हो उठी, मन में विश्वास था कि अगर ईमानदारी से सकारात्मक एवं विधिसम्मत प्रयास किया जाए तो मेरे लाखों योग्य साथियों का स्वपन अवश्य ही साकार होगा! मेरे साथ प्रदेश के हजारों सकारात्मक सोच के साथी जुड़ते चले गये जिसमें हिमांशु राणा, जीतेन्द्र सिंह सेंगर एवं अमित सिंह इत्यदि प्रमुख हैं!
समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों के नियुक्ति के लक्ष्य के उद्देश्य से हमारा संघर्ष दि० 10 अप्रैल 2015 से परमादेश याचिका (167/2015 हिमाँशु राणा बनाम यूनियन ऑफ़ इण्डिया) को मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत एवं नोटिस जारी करने से आरम्भ होती हैं! आप सभी के आशीर्वाद एवं सहयोग से दाखिल हुयी आप सब की परमादेश याचिका 167/2015 पर अब तक निम्न आदेश हो चुके हैं:-
1. दि० 10 अप्रैल 2015 को शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने हेतु समस्त प्रतिवादियों को मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया!
2. दि० 15 मई 2015 को इसी याचिका में हमारे द्वारा शिक्षामित्र समायोजन के विरुद्ध दाखिल IA पर समस्त प्रतिवादियों को मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया!
3. दि० 06 जुलाई को शिक्षामित्रों पर स्थगनादेश व सचिव को तलब किया गया!!
4. दि० 27 जुलाई को शिक्षामित्रों पर स्थगनादेश जारी रखते हुए मा० उच्च न्यायालय द्वार शिक्षामित्र मामले को ०२ माह के भीतर निस्तारित करने हेतु निर्देश
5. दि०21 जुलाई को इसी याचिका में प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का हलफनामे के साथ प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त पदों का ब्यौरा भी दाखिल किया गया हैं!
6. दि० 02 नवम्बर को आपकी परमादेश याचिका एवं उसमें दाखिल काउंटर एफिडेविट में दर्ज रिक्तियों को मा० न्यायाधीश महोदय ने स्वतः संज्ञान में लेकर आदेश में उल्लेखित कर चिंता व्यक्त की हैं व सरकार को स्पष्टीकरण (रिक्तियों के सम्बन्ध में) हेतु अंतिम मौका प्रदान किया हैं!
7. यहाँ मैं स्पष्ट करना चाहूँगा कि किसी भी नियुक्ति से पूर्व विवादित 'चयन का आधार' पूर्णतयः स्पष्ट करना अतिआवश्यक हैं और अब मा० सर्वोच्च न्यायालय ने को चयन के आधार एवं NCTE guidelines की भ्रांतियों को विधिसम्मत तरीके से व्याखित करने हेतु सुनवाई की तिथि दि० 7-8 दिसम्बर नियत की हैं! साथ ही साथ मा० मिश्रा जी ने उपरोक्त लॉ पॉइंट्स को निस्तारित करने के उपरान्त इन ४ लाख रिक्तियों को भरवाने हेतु मैकेनिज्म फॉर्म करने की बात स्वयं कोर्ट में कही हैं!
उपरोक्त परमादेश याचिका सिर्फ हिमांशु राणा या दुर्गेश की न होकर प्रदेश के लाखों योग्य बेरोजगारों के साथ-साथ आप सभी की हैं जिस पर अभी तक हमने निरंतर सफलता अर्जित की हैं और आगे भी सुखमय परिणाम अर्जित करते रहेंगे!
अतः मेरे प्रिय साथियों, आप सभी से मैं मात्र इतनी अपेक्षा करता हूँ कि आप सब इस पोस्ट के साथ संलग्न आदेश को प्रिंट कराके अपने जनपद के साथियों को समुचित सूचना एवं वास्तविकता से निरंतर अवगत कराते रहे! जिससे उनमें जोश एवं सकारात्मक उर्जा निरंतर संचरित होती रहे! धन्यवाद!
__________ आपका दुर्गेश प्रताप सिंह

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