सरकार ने नियुक्ति का प्रक्रिया मसौदा तैयार करने में असमर्थ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

केंद्र सरकार ने गुरुवार को न्यायपालिका की समीक्षा के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रक्रिया मसौदा (एमओपी) तैयार करने से मना कर दिया। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एमओपी तैयार करने में असमर्थता जताते हुए कहा कि यह सरकार का कार्यकारी काम है
और उसे न्यायपालिका की समीक्षा के लिए नहीं तैयार
किया जा सकता। उधर कोर्ट ने कोलेजियम व्यवस्था में सुधार पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि इस बीच कोलेजियम न्यायाधीशों की नियुक्ति का काम जारी रखेगी। 1गत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा था कि वे कोलेजियम में सुधार के बारे में आए सुझावों को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति प्रक्रिया का मसौदा तैयार करें। कोलेजिमय व्यवस्था में सुधार पर न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोलेजियम व्यवस्था में सुधार पर सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि सरकार कोर्ट की समीक्षा के लिए एमओपी नहीं तैयार कर सकती।
उन्होंने कहा कि एमओपी बनाना सरकार का काम है ऐसा करने में मुख्य न्यायाधीश से मशवरा किया जाता है। इस कार्रवाई को अदालत की समीक्षा के लिए नहीं भेजा जा सकता। रोहतगी ने कहा कि कोर्ट खुद ही कोई दिशा निर्देश जारी करे। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि वे मसौदा को एमओपी की तरह क्यों ले रहें है ले उसे सुझाव मात्र समङों, लेकिन रोहतगी फिर भी तैयार नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने कोलेजियम में सुधार पर सुनवाई जारी रखी।
कोर्ट को बहुत तरह के सुझाव आए जिसमें कोलेजियम की मदद के लिए एक स्वतंत्र सचिवालय बनाए जाने के अलावा जजों की नियुक्ति में वंचित वर्ग जैसे एससी एसटी अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने की भी मांग उठी। जबकि, कुछ वकीलों ने इससे उलट हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए सिर्फ मेरिट को प्राथमिकता दिए जाने की बात कही और कहा कि सामाजिक न्याय के सिद्धांत आरक्षण को सिर्फ निचली अदालत में भर्ती तक ही लागू किया जाए। पूर्व भाजपा नेता गोविंदाचार्य की ओर से उनके वकील विराग गुप्ता ने सुझाव पेश किए। गुप्ता ने कहा कि जिस तरह एमपी एमएलए को चुनाव के समय हलफनामा देना होता है इसी तरह न्यायाधीशों के लिए भी नियुक्ति के समय हलफनामा देने की अनिवार्यता की जाए। वकील अश्वनी उपाध्याय ने न्यायाधीशों के लिए लिखित परीक्षा का सुझाव दिया। 1कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस बीच कोलेजियम न्यायाधीशों की नियुक्ति का काम जारी रखेगी और नियुक्तियां रुकेंगी नहीं। मालूम हो कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की नई व्यवस्था देने वाले एनजेएसी कानून को रद करते हुए कोर्ट ने नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था में सुधार पर सुनवाई का मन बनाते हुए सुझाव मांगे थे।

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