पीसीएस और लोअर सबार्डिनेट जैसी बड़ी परीक्षाओं के आयोजन के बाद उत्तर
प्रदेश लोक सेवा आयोग अब सीधी भर्ती की परीक्षाओं पर फोकस करेगा। इसके लिए
तैयारियां पूरी हैं और आयोग में चल रहे साक्षात्कार पूरे होने के बाद ही
इसमें तेजी आ जाएगी।
रिक्त पदों के लिए अधियाचन भेजने का आग्रह आयोग विभागों से पहले ही कर चुका है।
1उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सदस्य संक्या पूरी होने की स्थिति में साल में लगभग पचास से अधिक सीधी भर्ती की परीक्षाएं आयोजित कराता है। अनिल यादव की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बाद सीधी भर्ती वाली परीक्षाएं लगभग ठहर सी गई थीं। कार्यकारी अध्यक्ष डा. सुनील कुमार जैन ने इसकी शुरुआत तो कराई लेकिन अभी इसमें अपेक्षित तेजी नहीं आ सकी है। हालांकि चिकित्सा विभाग के कई पदों के परिणाम पिछले एक महीने में जारी किए जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार अब इसमें तेजी लाई जाएगी। 1उल्लेखनीय है कि डा. अनिल यादव के कार्यकाल में लगभग दो सौ परीक्षाएं हुई थीं। उनकी ओर से इस आशय का हलफनामा भी हाईकोर्ट में दिया गया था। हालांकि उनके कार्यकाल में अनियमितताओं के भी तमाम आरोप लगे थे। इस बार आयोग व्यवस्था को पारदर्शी रखने के साथ ही कुछ नियमों में बदलाव भी कर रहा है। इसी कड़ी में ऑफलाइन आवेदन भी मांगे जा रहे हैं। आयोग से जुड़े लोगों के अनुसार यदि प्रक्रिया पटरी पर आ गई तो लगभग एक हजार पद भरे जा सकेंगे। इनमें सबसे अधिक पद चिकित्सा शिक्षा विभाग के ही हैं। वैसे आयोग की एक बड़ी समस्या इस विभाग के अनारक्षित पदों को न भरा जाना है। हाल ही में घोषित किए गए परीक्षा परिणाम में भी कार्डियोलॉजी और रेडियोलॉजी में आरक्षित वर्ग के कई पद रिक्त रह गए हैं।
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1उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सदस्य संक्या पूरी होने की स्थिति में साल में लगभग पचास से अधिक सीधी भर्ती की परीक्षाएं आयोजित कराता है। अनिल यादव की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बाद सीधी भर्ती वाली परीक्षाएं लगभग ठहर सी गई थीं। कार्यकारी अध्यक्ष डा. सुनील कुमार जैन ने इसकी शुरुआत तो कराई लेकिन अभी इसमें अपेक्षित तेजी नहीं आ सकी है। हालांकि चिकित्सा विभाग के कई पदों के परिणाम पिछले एक महीने में जारी किए जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार अब इसमें तेजी लाई जाएगी। 1उल्लेखनीय है कि डा. अनिल यादव के कार्यकाल में लगभग दो सौ परीक्षाएं हुई थीं। उनकी ओर से इस आशय का हलफनामा भी हाईकोर्ट में दिया गया था। हालांकि उनके कार्यकाल में अनियमितताओं के भी तमाम आरोप लगे थे। इस बार आयोग व्यवस्था को पारदर्शी रखने के साथ ही कुछ नियमों में बदलाव भी कर रहा है। इसी कड़ी में ऑफलाइन आवेदन भी मांगे जा रहे हैं। आयोग से जुड़े लोगों के अनुसार यदि प्रक्रिया पटरी पर आ गई तो लगभग एक हजार पद भरे जा सकेंगे। इनमें सबसे अधिक पद चिकित्सा शिक्षा विभाग के ही हैं। वैसे आयोग की एक बड़ी समस्या इस विभाग के अनारक्षित पदों को न भरा जाना है। हाल ही में घोषित किए गए परीक्षा परिणाम में भी कार्डियोलॉजी और रेडियोलॉजी में आरक्षित वर्ग के कई पद रिक्त रह गए हैं।
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