सरकार ने पुलिस फोर्स में पद बढ़ाने की प्रक्रिया भले पूरी कर ली है लेकिन
दारोगा और सिपाही के पद भरने में अभी देरी होगी। प्रशिक्षण केंद्रों की कमी
सबसे बड़ी बाधा है। वैसे प्रशिक्षण केंद्रों में क्षमता से ज्यादा
अभ्यर्थियों
को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। करीब 32 हजार सिपाहियों और चार हजार दारोगा का प्रशिक्षण दिसंबर तक पूरा
होगा। तब तक चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से नई भर्ती संभव नहीं हो सकेगी।
शासन ने इस समस्या के समाधान के लिए नये प्रशिक्षण केंद्र खोलने पर जोर दिया है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इंस्पेक्टर के 2362, दारोगा के 21004 और मुख्य आरक्षी के 7201 नये पदों का शासनादेश जारी कर दिया गया है।
इन पदों पर भर्ती के लिए शासन का विशेष जोर है। इनमें दारोगा के करीब 11 हजार पदों पर सीधी भर्ती और बाकी वरिष्ठता के आधार पर प्रोन्नति दी जानी है। 21 हजार से अधिक उपनिरीक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण दे पाना संभव ही नहीं है। करीब 35 हजार सिपाहियों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गयी है। इसके बाद भी 85 हजार सिपाहियों के पद रिक्त रह जाएंगे।
चार हजार दारोगा व 18 हजार सिपाहियों के प्रशिक्षण की क्षमता : डीजी प्रशिक्षण सुलखान सिंह का कहना है कि दारोगा को प्रशिक्षित करने के लिए सिर्फ सीतापुर और मुरादाबाद में ट्रेनिंग कालेज हैं। प्रशिक्षण निदेशालय के पास एक बार में 2400 दारोगा को प्रशिक्षित करने की क्षमता है हालांकि चार हजार दारोगा को एक बार में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इसी प्रकार 18 हजार आरक्षी प्रशिक्षित किये जा सकते हैं लेकिन अन्य संसाधनों के जरिए 33 हजार रिक्रूट प्रशिक्षित किये जा रहे हैं।
उप्र के प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र : मेरठ, उन्नाव, गोरखपुर और मुरादाबाद में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल है जबकि मीरजापुर के चुनार में रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर है। यहां सिपाहियों को प्रशिक्षित किया जाता है। सीतापुर और मुरादाबाद के पुलिस ट्रेनिंग कालेज में दारोगा को प्रशिक्षित किया जाता है जबकि इनसे ऊपर के अधिकारियों के लिए पुलिस अकादमी मुरादाबाद है। यहां डीएसपी को प्रशिक्षण मिलता है। इनके अलावा सीतापुर में आर्म्स पुलिस ट्रेनिंग कालेज है।
बढ़ेगी प्रशिक्षण की क्षमता
सुलतानपुर, कालपी और कासगंज में नये प्रशिक्षण स्कूल बन रहे हैं और आगरा के बाह और इटावा में प्रस्तावित हैं। इनके बन जाने के बाद प्रशिक्षण की क्षमता बढ़ेगी और भर्ती प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। 1-देबाशीष पंडा, प्रमुख सचिव, गृह, उप्र
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को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। करीब 32 हजार सिपाहियों और चार हजार दारोगा का प्रशिक्षण दिसंबर तक पूरा
होगा। तब तक चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से नई भर्ती संभव नहीं हो सकेगी।
शासन ने इस समस्या के समाधान के लिए नये प्रशिक्षण केंद्र खोलने पर जोर दिया है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इंस्पेक्टर के 2362, दारोगा के 21004 और मुख्य आरक्षी के 7201 नये पदों का शासनादेश जारी कर दिया गया है।
इन पदों पर भर्ती के लिए शासन का विशेष जोर है। इनमें दारोगा के करीब 11 हजार पदों पर सीधी भर्ती और बाकी वरिष्ठता के आधार पर प्रोन्नति दी जानी है। 21 हजार से अधिक उपनिरीक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण दे पाना संभव ही नहीं है। करीब 35 हजार सिपाहियों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गयी है। इसके बाद भी 85 हजार सिपाहियों के पद रिक्त रह जाएंगे।
चार हजार दारोगा व 18 हजार सिपाहियों के प्रशिक्षण की क्षमता : डीजी प्रशिक्षण सुलखान सिंह का कहना है कि दारोगा को प्रशिक्षित करने के लिए सिर्फ सीतापुर और मुरादाबाद में ट्रेनिंग कालेज हैं। प्रशिक्षण निदेशालय के पास एक बार में 2400 दारोगा को प्रशिक्षित करने की क्षमता है हालांकि चार हजार दारोगा को एक बार में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इसी प्रकार 18 हजार आरक्षी प्रशिक्षित किये जा सकते हैं लेकिन अन्य संसाधनों के जरिए 33 हजार रिक्रूट प्रशिक्षित किये जा रहे हैं।
उप्र के प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र : मेरठ, उन्नाव, गोरखपुर और मुरादाबाद में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल है जबकि मीरजापुर के चुनार में रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर है। यहां सिपाहियों को प्रशिक्षित किया जाता है। सीतापुर और मुरादाबाद के पुलिस ट्रेनिंग कालेज में दारोगा को प्रशिक्षित किया जाता है जबकि इनसे ऊपर के अधिकारियों के लिए पुलिस अकादमी मुरादाबाद है। यहां डीएसपी को प्रशिक्षण मिलता है। इनके अलावा सीतापुर में आर्म्स पुलिस ट्रेनिंग कालेज है।
बढ़ेगी प्रशिक्षण की क्षमता
सुलतानपुर, कालपी और कासगंज में नये प्रशिक्षण स्कूल बन रहे हैं और आगरा के बाह और इटावा में प्रस्तावित हैं। इनके बन जाने के बाद प्रशिक्षण की क्षमता बढ़ेगी और भर्ती प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। 1-देबाशीष पंडा, प्रमुख सचिव, गृह, उप्र
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