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परिषदीय शिक्षकों का काम बढ़ा, अब समाजवादी पेंशन योजना का सच जानेगी सरकार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रही अखिलेश सरकार अपनी फ्लैगशिप स्कीम समाजवादी पेंशन योजना की वास्तविकता और उसका असर जानना चाहती है। योजना की हकीकत जानने के लिए सरकार सामाजिक
अध्ययन व शोध के लिए मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) से योजना का मूल्यांकन
अध्ययन कराएगी।1यह है मकसद : सरकार जानना चाहती है कि योजना के तहत जिन लाभार्थियों का चयन हुआ है, वह कितना सही है। लाभार्थियों के बैंक खातों में समाजवादी पेंशन की धनराशि पहुंच रही है या नहीं। योजना के पहले साल चुने गए लाभार्थियों को शिक्षा, साक्षरता, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, आदि से जुड़ी जो सेवाएं प्राप्त होनी थीं, वे मिल पा रही हैं या नहीं। लाभार्थियों को जो पेंशन मिल रही है, उसका क्या उपयोग हो रहा है। योजना की निगरानी के लिए सरकार की ओर से जो व्यवस्था की गई है। 1मुख्यमंत्री ने दिया निर्देश : इस अहम योजना का मूल्यांकन खुद अखिलेश यादव ने किसी नामचीन संस्था से कराने की अपेक्षा की थी। इस पर मुख्य सचिव आलोक रंजन ने टिस से अध्ययन कराने का फैसला किया है।
टिस पश्चिमी, पूर्वी, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में से प्रत्येक के तीन जिलों में योजना के अमल की पड़ताल कर रिपोर्ट जून तक उपलब्ध कराएगी।1योजना की अहमियत : समाजवादी पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार प्रत्येक पात्र लाभार्थी परिवार को हर महीने 500 रुपये देती है जिसमें प्रत्येक वर्ष 50 रुपये के इजाफे की व्यवस्था है जिसकी अधिकतम सीमा 750 रुपये है। सरकार साल दर साल इसके बजट में इजाफा करते जा रही है।
वित्तीय वर्ष 2014-15 में जब यह योजना शुरू हुई थी, तब इसके लिए बजट आवंटन 2400 करोड़ रुपये था और योजना के जरिये 40 लाख परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य था। वर्ष 2015-16 में लाभार्थियों की संख्या को बढ़ाकर 45 लाख करत आवंटित धनराशि को बढ़ाकर 2700 करोड़ रुपये कर दिया गया।
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