यूपी बोर्ड भी वाइटनर (सफेदा) के प्रयोग पर सख्त हो गया है। उत्तर
पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में अवार्ड ब्लैंक ओएमआर शीट पर वाइटनर का कतई
प्रयोग न करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। परीक्षकों से यदि अंक देने
में कोई त्रुटि होती है तो उसकी अलग से रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन वहां वाइटनर लगाने की इजाजत नहीं है। बोर्ड यह कदम विवाद से बचने के लिए उठाए हैं, ताकि पारदर्शिता पूरी तरह से बनी रहे। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं।
अब 30 मार्च से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना है। उस संबंध में इस बार कई नए निर्देश जारी हुए हैं। उसमें वाइटनर प्रयोग न करने पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
असल में अवार्ड ब्लैंक की अब ओएमआर शीट बनती है। हर शीट में 30 परीक्षार्थियों को अंक दिए जा सकते हैं। इसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर भरा जाना है। अंतर बस इतना है कि प्रतियोगी परीक्षा में परीक्षार्थी इसे नीले या काले रंग से गोले भरते हैं जबकि इसमें यह कार्य परीक्षक को करना होगा। कई बार गलत अंक दर्ज होने पर परीक्षक उसे काटकर वाइटनर लगा देते हैं, इससे शीट की एक प्रति तो दुरुस्त हो जाती है, लेकिन दूसरी प्रति गड़बड़ ही रहती है।
इससे अंकों को लेकर विवाद होता रहा है।
ऐसे में बोर्ड सचिव शैल यादव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी दशा में वाइटनर का प्रयोग न करें। यदि परीक्षक से गलती होती है जो वह उसे ठीक करने के लिए अनुक्रमांक की सीसी-16 रिपोर्ट तैयार करके भेजे।
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में कोई त्रुटि होती है तो उसकी अलग से रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन वहां वाइटनर लगाने की इजाजत नहीं है। बोर्ड यह कदम विवाद से बचने के लिए उठाए हैं, ताकि पारदर्शिता पूरी तरह से बनी रहे। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं।
अब 30 मार्च से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना है। उस संबंध में इस बार कई नए निर्देश जारी हुए हैं। उसमें वाइटनर प्रयोग न करने पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
असल में अवार्ड ब्लैंक की अब ओएमआर शीट बनती है। हर शीट में 30 परीक्षार्थियों को अंक दिए जा सकते हैं। इसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर भरा जाना है। अंतर बस इतना है कि प्रतियोगी परीक्षा में परीक्षार्थी इसे नीले या काले रंग से गोले भरते हैं जबकि इसमें यह कार्य परीक्षक को करना होगा। कई बार गलत अंक दर्ज होने पर परीक्षक उसे काटकर वाइटनर लगा देते हैं, इससे शीट की एक प्रति तो दुरुस्त हो जाती है, लेकिन दूसरी प्रति गड़बड़ ही रहती है।
इससे अंकों को लेकर विवाद होता रहा है।
ऐसे में बोर्ड सचिव शैल यादव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी दशा में वाइटनर का प्रयोग न करें। यदि परीक्षक से गलती होती है जो वह उसे ठीक करने के लिए अनुक्रमांक की सीसी-16 रिपोर्ट तैयार करके भेजे।
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