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72 हजार परिवार हैं मुख्यमंत्री अखिलेश से बेहद नाराज, क्यों है ये परिवार खफा पढि़ए ये खबर

वाराणसी. उत्तर प्रदेश के 72 हजार परिवार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बेहद नाराज हैं। सपा को आगामी विस चुनाव में इन परिवारों की नाराजगी के चलते कई सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि हर परिवार से जुड़े चार अन्य परिवार भी जुड़े हैं। ये परिवार फिलवक्त बसपा की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है।
अब तक आप समझ ही गए होंगे उन बहत्तर हजार परिवारों के बारे में। हम बात कर रहे हैं शिक्षक पात्रता टेस्ट पास करने के बाद प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 72 हजार शिक्षकों की।
अखिलेश सरकार की ओर से कदम-कदम पर रोड़े अटकाने से मुश्किल में आए 72 हजार शिक्षक अब चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। समय रहते यदि अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सरकार ने उन्हें मरहम नहीं लगाया तो शिक्षक उन्हें दर्द देेने को तैयार हैं।
मायावती के शासनकाल में आई थी भर्ती
बसपा शासनकाल में मायावती ने प्रदेश में 72825 शिक्षकों की तैनाती के लिए विज्ञप्ति निकाली थी। 31 दिसंबर 2011 तक शिक्षकों की भर्ती कर देनी थी लेकिन आचार संहिता लग गई थी। चुनाव में सरकार बदल गई। बसपा के बाद सपा की सरकार आई और यहीं से 72 हजार शिक्षकों के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूटने लगा। अखिलेश सरकार ने फैसला बदलते हुए टेट मेरिट को मानने से इंकार कर दिया। टेट मेरिट का आधार नहीं होना चाहिए। 2012 में फिर से भर्ती निकली और इस बार एकेडमिक मेरिट मान्य होगी। इस उलट-पुलट में शिक्षा विभाग के हाथों मानों कुबेर का खजाना हाथ लग गया हो। प्रशिक्षु शिक्षकों से कदम-कदम पर धन उगाही शुरू हो गई। सबसे पहले अखिलेश सरकार ने ऑनलाइन पांच सौ रुपये का फार्म भरवाया जिससे सरकार के खाते में करोड़ों आए। उसके बाद छह माह के प्रशिक्षण के दौरान भी खूब वसूली हुई। ट्रेनिंग के बाद अधिकारियों ने जिले में मनपसंद स्कूलों पर तैनाती के लिए तीस से पचास हजार रुपये तक वसूले। तैनाती के बाद वेरिफिकेशन के नाम पर इस समय प्रदेश के सभी शिक्षा कार्यालयों में टेट शिक्षकों से जमकर वसूली हो रही है।
वेतन के लाले, कर्ज लेकर चला रहे घर
वर्ष 2011 की टेट भर्ती को लेकर अखिलेश सरकार ने इस कदर परेशान किया कि तीन साल बाद 2015 नवंबर से 2016 जनवरी के बीच टेट शिक्षकों को स्कूलों को आवंटन किया गया। सैलरी देने के नाम पर शिक्षा विभाग के बाबुओं की चांदी है। दान-दक्षिणा दिए बिना वे सैलरी स्लिप आगे नहीं बढ़ा रहे। बरेली की रहने वाली एक महिला गाजीपुर के एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षिका के पद पर तैनात हैं। पांच माह से अधिक समय बीत गया लेकिन तनख्वाह न मिलने से घर के आर्थिक हालात बहुत बिगड़ गए हैं। उधार के पैसों से अपना व बच्चों का पेट भर रही है शिक्षिका।

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