लखनऊ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेग्युलेशन तृतीय संशोधन ने विश्वविद्यालय के साथ-साथ डिग्री कॉलेज शिक्षकों की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। नए नियमों से अब गुरुजी को प्रोन्नति पाना आसान नहीं होगा।
अभी तक डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर को सिर्फ 45 अंक प्रोन्नति के लिए अर्जित करने होते थे, लेकिन अब इन्हें बढ़ाकर अब 75 कर दिया गया है।
इसी तरह राजधानी में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीएचडी करवाने की छूट नहीं दी है लेकिन नए नियमों के तहत अब पीएचडी करवाने के अब पंद्रह अंक होंगे। जबकि अभी तक इसके दस अंक होते थे। ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने आंदोलन करने की घोषणा कर दी है। बुधवार को मुमताज पीजी कॉलेज में लुआक्टा पदाधिकारी बैठक कर आंदोलन को किस तरह चलाया जाए इस पर मंथन करेंगे।
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि हम एकेडमिक परफार्मेश इंडीकेटर (एपीआइ) को खत्म करने के लिए आंदोलनरत थे कि अचानक यूजीसी रेग्युलेशन तृतीय संशोधन में प्रोन्नति के नियमों को और कठिन बना दिया गया। डिग्री कॉलेज शिक्षकों को अभी तक प्रोन्नति के लिए 45 अंक जरूरी होते थे उसे बढ़ाकर 75 कर दिया। वहीं विवि शिक्षकों को अभी तक 90 अंक लाने होते थे तो उसे घटाकर 75 कर दिया।
फिर अभी तक हमें पीएचडी करवाने की छूट नहीं मिली है। ऐसे में पीएचडी करवाने के अंक बढ़ाने से हमें और घाटा होगा। वहीं किताब प्रकाशित करने के अभी तक 25 अंक थे उसे घटाकर 15 कर दिया गया। एक लाख से कम रकम वाले प्रोजेक्ट के नंबर प्रोन्नति में खत्म कर दिए। इससे हमें काफी घाटा होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) के अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार व महामंत्री डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव सवाल उठाते हैं कि यूजीसी द्वारा निर्धारित प्रकाशकों के यहां पर ही जर्नल छपवाने की अनिवार्यता क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देगी। वह कहते हैं कि कई मुद्दों पर हम डिग्री कॉलेज शिक्षकों के साथ मिलकर आंदोलन चलाएंगे। 1व्याख्यान व संगोष्ठी के अंक कम कर दिए गए। इंटरनेशनल स्तर पर रिसर्च पेपर छापने के अंक दस से घटाकर पांच कर दिए गए और नेशनल रिसर्च पेपर के अंक साढ़े सात से घटाकर साढ़े तीन कर दिया गया। यही नहीं असिस्टेंट प्रोफेसर को अब हफ्ते में 18 घंटे पढ़ाना होगा और प्रशासनिक व रिसर्च कार्य के लिए छह घंटे अतिरिक्त देने होंगे। फिलहाल अब आरपार की लड़ाई होगी।
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अभी तक डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर को सिर्फ 45 अंक प्रोन्नति के लिए अर्जित करने होते थे, लेकिन अब इन्हें बढ़ाकर अब 75 कर दिया गया है।
इसी तरह राजधानी में डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीएचडी करवाने की छूट नहीं दी है लेकिन नए नियमों के तहत अब पीएचडी करवाने के अब पंद्रह अंक होंगे। जबकि अभी तक इसके दस अंक होते थे। ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने आंदोलन करने की घोषणा कर दी है। बुधवार को मुमताज पीजी कॉलेज में लुआक्टा पदाधिकारी बैठक कर आंदोलन को किस तरह चलाया जाए इस पर मंथन करेंगे।
लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय कहते हैं कि हम एकेडमिक परफार्मेश इंडीकेटर (एपीआइ) को खत्म करने के लिए आंदोलनरत थे कि अचानक यूजीसी रेग्युलेशन तृतीय संशोधन में प्रोन्नति के नियमों को और कठिन बना दिया गया। डिग्री कॉलेज शिक्षकों को अभी तक प्रोन्नति के लिए 45 अंक जरूरी होते थे उसे बढ़ाकर 75 कर दिया। वहीं विवि शिक्षकों को अभी तक 90 अंक लाने होते थे तो उसे घटाकर 75 कर दिया।
फिर अभी तक हमें पीएचडी करवाने की छूट नहीं मिली है। ऐसे में पीएचडी करवाने के अंक बढ़ाने से हमें और घाटा होगा। वहीं किताब प्रकाशित करने के अभी तक 25 अंक थे उसे घटाकर 15 कर दिया गया। एक लाख से कम रकम वाले प्रोजेक्ट के नंबर प्रोन्नति में खत्म कर दिए। इससे हमें काफी घाटा होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) के अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार व महामंत्री डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव सवाल उठाते हैं कि यूजीसी द्वारा निर्धारित प्रकाशकों के यहां पर ही जर्नल छपवाने की अनिवार्यता क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देगी। वह कहते हैं कि कई मुद्दों पर हम डिग्री कॉलेज शिक्षकों के साथ मिलकर आंदोलन चलाएंगे। 1व्याख्यान व संगोष्ठी के अंक कम कर दिए गए। इंटरनेशनल स्तर पर रिसर्च पेपर छापने के अंक दस से घटाकर पांच कर दिए गए और नेशनल रिसर्च पेपर के अंक साढ़े सात से घटाकर साढ़े तीन कर दिया गया। यही नहीं असिस्टेंट प्रोफेसर को अब हफ्ते में 18 घंटे पढ़ाना होगा और प्रशासनिक व रिसर्च कार्य के लिए छह घंटे अतिरिक्त देने होंगे। फिलहाल अब आरपार की लड़ाई होगी।
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