वित्तीय अनियमितता के आरोप में घिरे जीआईसी प्राचार्य

सीतापुर में राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य इंद्रजीत सिंह वित्तीय अनियमितताओं में घिर गए हैं।
कॉलेज की धनराशि से न सिर्फ अपने आवास का बिजली बिल जमा कर दिया, बल्कि कॉलेज के मुख्यद्वार निर्माण में बजट होने के बावजूद उन्होंने शिक्षक-अभिभावक संघ व साइकिल स्टैंड के फंड से भी रकम निकाल ली।
वह भी गेट निर्माण में दो बरस लगा दिए। जो विद्यार्थी कभी भी साइकिल नहीं लाए, उनसे भी स्टैंड की रकम वसूल ली। यह खुलासा डीएम स्तर से कराई गई जांच में हुआ है। अब इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम स्तर से माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव को पत्र भेजने की तैयारी चल रही है।

दरअसल, एक शिकायतकर्ता श्रीकांत मिश्र ने बीते दिनों राजकीय इंटर कॉलेज सीतापुर के प्रधानाचार्य पर वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की थी। डीएम अमृत त्रिपाठी ने परियोजना निदेशक केके सिंह को जांच करने के निर्देश दिए थे।

परियोजना निदेशक की जांच में उजागर हुआ कि प्रधानाचार्य ने अपने सरकारी निवास का 34 हजार 501 रुपये का बिल कॉलेज की धनराशि से जमा कर दिया। इसे उन्होंने स्वीकार भी किया है। इसके अलावा कॉलेज के खेल मैदान को सीतापुर महोत्सव कमेटी को लोहे के गेट निर्माण की शर्त के आधार पर दिया था।

जांच में उजागर हुआ कि कमेटी द्वारा एक छोटा व एक बड़ा गेट बनवाकर दिया गया। गेटों के निर्माण के लिए 25 हजार की धनराशि भी दी गई थी। गेट निर्माण के लिए इतनी धनराशि पर्याप्त थी। लेकिन प्रधानाचार्य ने शिक्षक-अभिभावक संघ व साइकिल स्टैंड के मद से धनराशि खर्च कर दी।

वह भी इस कार्य को करवाने में उन्हें दो बरस लग गए। जबकि महोत्सव का आयोजन नौ मई से आठ जून 2014 को हुआ था। कॉलेज में कक्षा नवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों से साइकिल स्टैंड के रूप में प्रति छात्र 60 रुपये जमा कराए जाते हैं। जबकि 30 प्रतिशत ही छात्र साइकिल लेकर आते है।

यह भी शिकायत की गई थी कि प्रधानाचार्य विभिन्न परीक्षाओं में कॉलेज से इतर दूसरे कॉलेजों के शिक्षकों को बुलाकर एग्जाम कराते हैं। जबकि कॉलेज के शिक्षक बैठे रहते हैं। जांच में पता चला कि प्रधानाचार्य शिक्षकों के बीच गुटबाजी कराते है। कार्रवाई के लिए डीएम को रिपोर्ट सौंप दी गई है।
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