राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लिए चयनित तमाम अभ्यर्थियों को तैनाती नहीं मिल सकेगी, क्योंकि जिन पदों का अधियाचन भेजा जा चुका है उन पदों को शिक्षा निदेशालय ने तबादलों से भर दिया है।
ऐसे में चयनित अभ्यर्थियों को भटकने को मजबूर होना पड़ेगा। मनमाने तरीके से बड़े पैमाने पर स्थानांतरण पिछले एक बरस से जारी हैं। न्यायालय की फटकार के बाद तीन तबादले निरस्त किए गए हैं और दो तबादलों में लिपिकों से आपत्ति लगाकर निरस्त कर दिया गया है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को है, लेकिन सहमति के आधार पर तबादला शिक्षा निदेशालय का माध्यमिक महकमा करता है। इसमें यह निर्देश है कि शिक्षक यदि दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण चाहता है तो दोनों विद्यालय सहमति पत्र लिखकर दें। उसके बाद विभागीय अफसरों की सहमति पर तबादला आदेश हो जाता है। इस नियम की आड़ में पिछले एक वर्ष में बड़ी संख्या में शिक्षकों को इधर से उधर किया गया है। अफसरों ने उन स्कूलों में भी तबादले कर दिए जिनके पदों का अधियाचन चयन बोर्ड को भेजा जा चुका है और इस समय चयन प्रक्रिया गतिमान है। ऐसे तबादले फैजाबाद, लखनऊ, वाराणसी एवं आगरा मंडलों में बड़ी संख्या में हुए हैं। वहीं राजकीय हाईस्कूल एवं इंटर कालेजों में तो मानकों को दरकिनार करके तबादले किए गए हैं। इसमें पहुंच एवं पैसे की ही चली है।
शिक्षा निदेशालय ने तबादला प्रक्रिया में यह नहीं देखा कि किस शिक्षक का कहां स्थानांतरण हो रहा है। मसलन जिन शिक्षण संस्थानों में गणित व विज्ञान के शिक्षकों के तबादले होने चाहिए थे वहां हंिदूी, संस्कृत, उर्दू सहित अन्य विषयों के शिक्षक व शिक्षिकाओं को तैनाती दी गई है। इससे शिक्षक संस्थानों के अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। उधर, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा रमेश कुमार का कहना है कि सभी तबादलों में मानकों का पूरा पालन किया गया है।
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ऐसे में चयनित अभ्यर्थियों को भटकने को मजबूर होना पड़ेगा। मनमाने तरीके से बड़े पैमाने पर स्थानांतरण पिछले एक बरस से जारी हैं। न्यायालय की फटकार के बाद तीन तबादले निरस्त किए गए हैं और दो तबादलों में लिपिकों से आपत्ति लगाकर निरस्त कर दिया गया है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को है, लेकिन सहमति के आधार पर तबादला शिक्षा निदेशालय का माध्यमिक महकमा करता है। इसमें यह निर्देश है कि शिक्षक यदि दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण चाहता है तो दोनों विद्यालय सहमति पत्र लिखकर दें। उसके बाद विभागीय अफसरों की सहमति पर तबादला आदेश हो जाता है। इस नियम की आड़ में पिछले एक वर्ष में बड़ी संख्या में शिक्षकों को इधर से उधर किया गया है। अफसरों ने उन स्कूलों में भी तबादले कर दिए जिनके पदों का अधियाचन चयन बोर्ड को भेजा जा चुका है और इस समय चयन प्रक्रिया गतिमान है। ऐसे तबादले फैजाबाद, लखनऊ, वाराणसी एवं आगरा मंडलों में बड़ी संख्या में हुए हैं। वहीं राजकीय हाईस्कूल एवं इंटर कालेजों में तो मानकों को दरकिनार करके तबादले किए गए हैं। इसमें पहुंच एवं पैसे की ही चली है।
शिक्षा निदेशालय ने तबादला प्रक्रिया में यह नहीं देखा कि किस शिक्षक का कहां स्थानांतरण हो रहा है। मसलन जिन शिक्षण संस्थानों में गणित व विज्ञान के शिक्षकों के तबादले होने चाहिए थे वहां हंिदूी, संस्कृत, उर्दू सहित अन्य विषयों के शिक्षक व शिक्षिकाओं को तैनाती दी गई है। इससे शिक्षक संस्थानों के अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। उधर, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा रमेश कुमार का कहना है कि सभी तबादलों में मानकों का पूरा पालन किया गया है।
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