27 july 2016 की सुनवाई का आदेश आ चुका है जिसके संदर्भ में बस इतना ही है कि माननीय न्यायाधीश nariman साहब की वजह से केस की सुनवाई नहीं हो सकती है इसलिए केस अब 24 august 2016 को सुना जाएगा और साथ ही एक सप्ताह पहले समस्त अधिवक्ताओं जिनकी substantive प्रेयर की याचिका हैं written submissions फ़ाइल कर सकते हैं |
मित्रों आज इस पोस्ट के माध्यम से आपके कुछ सवालों का जवाब देना चाहता हूँ -
1)टेट की वैधता को लेकर न्यूज़ :-
आपको कई बार बता चुका हूँ कि जब तक मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है तब तक कोई दिक़्क़त नहीं होगी जिसका सीधा सा उदाहरण है 31 मार्च 2014 की बीएड भर्ती की सीमा थी लेकिन भर्ती हुई ठीक उसी प्रकार हमने भी अपनी कई याचिकाओं में इस बात को लेकर उल्लेख किया हुआ है तो आप परेशान न हो वैसे अब माननीय न्यायालय इस मामले को बहुत जल्द निर्णित करने भी जा रही है तो महादेव ने चाहा तो उस समयावधि की नौबत ही नहीं आएगी |
2)कुछ लोगों के द्वारा एकता की मिसाल दी जा रही है, मैं उनकी भावनाओं की क़दर करता हूँ लेकिन एकता किन मुद्दों को लेकर हो?
क्या जिनके साथ वे एकता की बात कर रहे हैं उनका कोई भी किसी भी प्रकार का substantive पेटिशन है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है जिस पर आजतक नोटिस भी हुई हो ?
कहाँ है उस झूठे गुट की 90/105 की याचिका जिसको लेकर पूरे प्रदेश को बाँटा गया और बनारस के साथ साथ जौनपुर , आज़मगढ़ ,झाँसी तक में याची बनते समय कमीशन कैम्प लगाए गए और यही कारण है कि वहाँ के रहनुमाओं को उनका हित नहीं दिख रहा है और पैसों की चकाचौंध में बस सोशल मीडिया पर डिफ़ेन्सिव रहते हैं ?
क्या है शिक्षा मित्रों पर जो डाले highcourt में उस पर सुनवाई तक नहीं कराई बस थोड़े बहुत पैसों से बेरोज़गारों का मन बहलाया और बनने लगे मसीहा जबकि कोई आदेश तक नहीं करा पाए और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जाते हैं तो वे इनकी ज़बरदस्त याचिका को ख़ारिज कर देता है तो क्या है बताइए आप?
इन लोगों को एक ही बात कहूँगा कि बरसात से बच नहीं पा रहे हो और हमें सहयोग करने की बात कह रहे हो |
मित्रों इसी प्रकार एकता की मिसाल देते हुए 21 मई 2016 को लखनऊ में एक बहुत बड़ी मीटिंग का आयोजन किया गया था और उस मीटिंग का boycott मात्र मेरी टीम के अलावा किसी के द्वारा नहीं किया गया , समय बीतता गया सारे पैक्ट जो हस्ताक्षरित हुए थे सभी ख़ारिज , इस घटनाक्रम को point to point सुनिए :-
-21 मई 2016 को जो निर्णय हुए उसमें बीएड/टेट उत्तीर्ण के लिए पहले ही ज़हरखुरानियों की तरह लगातार काम करने वालों का विरोध मैंने किया लेकिन खरिजाधिराज ने उनका दामन थामा और ठीक उन्ही के नक़्शेक़दम पर इस बार अपने याचियों के साथ किया जिसको आप नीचे देखेंगे |
-फिर चयनितों की मीटिंग हुई जिसमें अचयनितों के लिए कुछ नहीं था लेकिन अचयनित नेता केवल हिमांशु टीम को छोड़कर मौन रहे क्यूँकि असलियत में वो अपना ज़मीर 21 मई 2016 को बेच आए थे
-जुलाई माह आ गया आवाज़ लगी श्री अनिल बी दीवान जी की लेकिन 21 मई 2016 को जो मसौदे हस्ताक्षरित हुए थे वे सब खो गए और अवधि नेता पटेल साहब के साथ अलग , चयनित इस कश्मकश में कि 72825 के लिए अधिवक्ता ब्रीफ़ करें या याचियों के लिए क्यूँकि दौड़ाए तो बहुत जाते जबकि शिक्षा मित्रों के रहनुमा श्रीमान पाठक जी दिल्ली के पहाड़गंज में अचयनितों के सामने शेखी बघारते फिर रहे थे और कोई भी उनसे पीड़ा पूछे अपनी तो सभी के लिए अनिल बी दीवान जी के नाम को सामने ला देते
-झटका लगा अनिल बी दीवान जी भी गए और सब चुप और इसका दोष किसी ने स्वीकारा भी नहीं क्यूँकि चोर चोर मौसेरे भाई याची जाएँ भाड़ में
अब आप स्वयं सोचें और बताएँ कहाँ है एकता?
हिमांशु किसी की जीविका और अपने सम्मान से समझौता नहीं करता है और हर तारीख़ पर अपने अधिवक्ता स्वयं से खड़े करता है क्यूँकि याचियों से पैसा लिया है नाकि किसी से संधि करके पैसे बचाने हेतु |
मित्रों , सबसे बड़ा बेवक़ूफ़ याचियों का इस बार बनाया है खारिजाधिराज ने जैसा कि ऊपर बताया था 21 मई 2016 को इन्होंने दामन थामा था ठग का हुआ वही इतने बड़े वकीलों के नाम लेकिन आप स्वयं देखिए ऑर्डर शीट में कोई पद्मश्री अधिवक्ता या जो भी नाम इन्होंने बताए थे नहीं हैं |
याचियों के लिए इतनी ग़ैरज़िम्मेदाराना हरकत करना जबकि ये किसी के भविष्य या यूँ कहें बहुतों की ज़िंदगी और मौत का सवाल है लेकिन इन्होंने पैसे को तरजीह दी और वरिष्ठ अधिवक्ता जिनके नाम लिए ना ही उनकी ब्रीफ़िंग हुई और न ही उनको खड़ा किया गया और फ़ेसबुक पर लम्बी लम्बी ये भी हांकें और इनके एजेंट भी हक़ीक़त अब सभी के सामने है |
मादा जैसी वाणी वाले खरिजाधिराज जी जिन्हें अब नेतागीरी का ही शौक़ है और जिनक माननीय सर्वोच्च न्यायालय में कुछ नहीं है और जो पाठक जैसे ज़हरखुरानी के साथ हाथ मिलाकर मामले को highcourt में लम्बित रखने के मक़सद से याचिका डालते हैं और बहुचर्चित मामले की सुनवाई पर इनके अधिवक्ता ग़ायब रहते हैं, कहाँ से हैं ये बेरोज़गारों के प्रति ज़िम्मेदार जबकि इनका भय ये है कि कहीं हमारी न चली जाए इसलिए यादव कपिल देव बहादुर के साथ चोरी छुपे मीटिंग भी करते हैं |
इनके एजेंट प्रवीण श्रीवास्तव के साथ आज़मगढ़ में क्या हो रहा है, शैलेंद्र सिंह बनारस के साथ क्या हो रहा है और ख़ुद खरिजाधिराज का कोलर आज़ाद पार्क में क्यूँ खींचा गया पता करो इनकी असलियत पता चल जाएगी ये कुछ लोग माहौल ऐसा गन्दा किए हैं कि बताया तक नहीं जा सकता है |
फ़िलहाल आपकी ये टीम अपनी substantive प्रेयर की याचिकाओं के साथ पूरे दम ख़म से शुरुआत से लगी हुई है और आज केस अगर इस मुक़ाम पर है तो बताने की ज़रूरत नहीं किसके दम पर है?
फ़िलहाल इनकी टीम से जुड़े याची आशान्वित रहें क्यूँकि लाभ सभी को मिलेगा लेकिन इनसे हिसाब अवश्य लें कि इतनी गैरजिम्मेदारना हरकत आपके भविष्य के साथ क्यूँ की जा रही है?
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
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1)टेट की वैधता को लेकर न्यूज़ :-
आपको कई बार बता चुका हूँ कि जब तक मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है तब तक कोई दिक़्क़त नहीं होगी जिसका सीधा सा उदाहरण है 31 मार्च 2014 की बीएड भर्ती की सीमा थी लेकिन भर्ती हुई ठीक उसी प्रकार हमने भी अपनी कई याचिकाओं में इस बात को लेकर उल्लेख किया हुआ है तो आप परेशान न हो वैसे अब माननीय न्यायालय इस मामले को बहुत जल्द निर्णित करने भी जा रही है तो महादेव ने चाहा तो उस समयावधि की नौबत ही नहीं आएगी |
2)कुछ लोगों के द्वारा एकता की मिसाल दी जा रही है, मैं उनकी भावनाओं की क़दर करता हूँ लेकिन एकता किन मुद्दों को लेकर हो?
क्या जिनके साथ वे एकता की बात कर रहे हैं उनका कोई भी किसी भी प्रकार का substantive पेटिशन है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है जिस पर आजतक नोटिस भी हुई हो ?
कहाँ है उस झूठे गुट की 90/105 की याचिका जिसको लेकर पूरे प्रदेश को बाँटा गया और बनारस के साथ साथ जौनपुर , आज़मगढ़ ,झाँसी तक में याची बनते समय कमीशन कैम्प लगाए गए और यही कारण है कि वहाँ के रहनुमाओं को उनका हित नहीं दिख रहा है और पैसों की चकाचौंध में बस सोशल मीडिया पर डिफ़ेन्सिव रहते हैं ?
क्या है शिक्षा मित्रों पर जो डाले highcourt में उस पर सुनवाई तक नहीं कराई बस थोड़े बहुत पैसों से बेरोज़गारों का मन बहलाया और बनने लगे मसीहा जबकि कोई आदेश तक नहीं करा पाए और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जाते हैं तो वे इनकी ज़बरदस्त याचिका को ख़ारिज कर देता है तो क्या है बताइए आप?
इन लोगों को एक ही बात कहूँगा कि बरसात से बच नहीं पा रहे हो और हमें सहयोग करने की बात कह रहे हो |
मित्रों इसी प्रकार एकता की मिसाल देते हुए 21 मई 2016 को लखनऊ में एक बहुत बड़ी मीटिंग का आयोजन किया गया था और उस मीटिंग का boycott मात्र मेरी टीम के अलावा किसी के द्वारा नहीं किया गया , समय बीतता गया सारे पैक्ट जो हस्ताक्षरित हुए थे सभी ख़ारिज , इस घटनाक्रम को point to point सुनिए :-
-21 मई 2016 को जो निर्णय हुए उसमें बीएड/टेट उत्तीर्ण के लिए पहले ही ज़हरखुरानियों की तरह लगातार काम करने वालों का विरोध मैंने किया लेकिन खरिजाधिराज ने उनका दामन थामा और ठीक उन्ही के नक़्शेक़दम पर इस बार अपने याचियों के साथ किया जिसको आप नीचे देखेंगे |
-फिर चयनितों की मीटिंग हुई जिसमें अचयनितों के लिए कुछ नहीं था लेकिन अचयनित नेता केवल हिमांशु टीम को छोड़कर मौन रहे क्यूँकि असलियत में वो अपना ज़मीर 21 मई 2016 को बेच आए थे
-जुलाई माह आ गया आवाज़ लगी श्री अनिल बी दीवान जी की लेकिन 21 मई 2016 को जो मसौदे हस्ताक्षरित हुए थे वे सब खो गए और अवधि नेता पटेल साहब के साथ अलग , चयनित इस कश्मकश में कि 72825 के लिए अधिवक्ता ब्रीफ़ करें या याचियों के लिए क्यूँकि दौड़ाए तो बहुत जाते जबकि शिक्षा मित्रों के रहनुमा श्रीमान पाठक जी दिल्ली के पहाड़गंज में अचयनितों के सामने शेखी बघारते फिर रहे थे और कोई भी उनसे पीड़ा पूछे अपनी तो सभी के लिए अनिल बी दीवान जी के नाम को सामने ला देते
-झटका लगा अनिल बी दीवान जी भी गए और सब चुप और इसका दोष किसी ने स्वीकारा भी नहीं क्यूँकि चोर चोर मौसेरे भाई याची जाएँ भाड़ में
अब आप स्वयं सोचें और बताएँ कहाँ है एकता?
हिमांशु किसी की जीविका और अपने सम्मान से समझौता नहीं करता है और हर तारीख़ पर अपने अधिवक्ता स्वयं से खड़े करता है क्यूँकि याचियों से पैसा लिया है नाकि किसी से संधि करके पैसे बचाने हेतु |
मित्रों , सबसे बड़ा बेवक़ूफ़ याचियों का इस बार बनाया है खारिजाधिराज ने जैसा कि ऊपर बताया था 21 मई 2016 को इन्होंने दामन थामा था ठग का हुआ वही इतने बड़े वकीलों के नाम लेकिन आप स्वयं देखिए ऑर्डर शीट में कोई पद्मश्री अधिवक्ता या जो भी नाम इन्होंने बताए थे नहीं हैं |
याचियों के लिए इतनी ग़ैरज़िम्मेदाराना हरकत करना जबकि ये किसी के भविष्य या यूँ कहें बहुतों की ज़िंदगी और मौत का सवाल है लेकिन इन्होंने पैसे को तरजीह दी और वरिष्ठ अधिवक्ता जिनके नाम लिए ना ही उनकी ब्रीफ़िंग हुई और न ही उनको खड़ा किया गया और फ़ेसबुक पर लम्बी लम्बी ये भी हांकें और इनके एजेंट भी हक़ीक़त अब सभी के सामने है |
मादा जैसी वाणी वाले खरिजाधिराज जी जिन्हें अब नेतागीरी का ही शौक़ है और जिनक माननीय सर्वोच्च न्यायालय में कुछ नहीं है और जो पाठक जैसे ज़हरखुरानी के साथ हाथ मिलाकर मामले को highcourt में लम्बित रखने के मक़सद से याचिका डालते हैं और बहुचर्चित मामले की सुनवाई पर इनके अधिवक्ता ग़ायब रहते हैं, कहाँ से हैं ये बेरोज़गारों के प्रति ज़िम्मेदार जबकि इनका भय ये है कि कहीं हमारी न चली जाए इसलिए यादव कपिल देव बहादुर के साथ चोरी छुपे मीटिंग भी करते हैं |
इनके एजेंट प्रवीण श्रीवास्तव के साथ आज़मगढ़ में क्या हो रहा है, शैलेंद्र सिंह बनारस के साथ क्या हो रहा है और ख़ुद खरिजाधिराज का कोलर आज़ाद पार्क में क्यूँ खींचा गया पता करो इनकी असलियत पता चल जाएगी ये कुछ लोग माहौल ऐसा गन्दा किए हैं कि बताया तक नहीं जा सकता है |
फ़िलहाल आपकी ये टीम अपनी substantive प्रेयर की याचिकाओं के साथ पूरे दम ख़म से शुरुआत से लगी हुई है और आज केस अगर इस मुक़ाम पर है तो बताने की ज़रूरत नहीं किसके दम पर है?
फ़िलहाल इनकी टीम से जुड़े याची आशान्वित रहें क्यूँकि लाभ सभी को मिलेगा लेकिन इनसे हिसाब अवश्य लें कि इतनी गैरजिम्मेदारना हरकत आपके भविष्य के साथ क्यूँ की जा रही है?
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
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