अभी हाल ही में दो घटनाएं एक दो दिन के समय अंतराल पर घटी एक लंबे समय से स्थानांतरण की राह देख रहे शिक्षकों को अपने घर जाने का मौका मिला दूसरी घटना उसके चंद रोज बाद ही घटी शिक्षकों को राष्ट्रपति एवं राज्यपाल द्वारा दिए जाने वाले शिक्षक सम्मान को पाने वाले शिक्षकों की सूची समाचार पत्रों में छपी
लेकिन इन दोनों ख़बरों में एक अज़ीब सी बात देखने को मिली
एक शिक्षक सैकड़ो किलोमीटर दूर अपने परिवार और बच्चों को छोड़कर एक स्कूल में उन गरीब बच्चों के साथ जिनके माता पिता खेतिहर मजदूर हैं उनके साथ सामंजस्य बिठा कर उनको जीवन यापन हेतु शिक्षित करता है
और न जाने कब इन बच्चों से इतनी आत्मीयता हो जाती है कि जब उसके लिए ख़ुशी का पल होता है उस दिन वह सबसे अधिक दुखी दिखाई पड़ता है .......काश इन्हें न छोड़ना पड़ता
यह बिडम्बना ही है... वर्तमान समय में कोई किसी के लिये नहीं रोता लेकिन कुछ तो बात रही होगी इस शिक्षक में जिसके लिये पूरा स्कूल और गाँव रोया
इसको फूल मालाओं से लाद दिया गया यह न तो नेता था और न ही अभिनेता लेकिन जो भी था किसी से कम न था
वहीँ एक ओर शिक्षक, शिक्षक सम्मान के लिये अपनी सेवा में किये गए कार्यों का लेखा जोखा इकट्ठा कर प्रमाण पत्र के रूप मे कई चरणों और प्रयासों के बाद शिक्षक सम्मान पाने वालो की सूची में शामिल है वह इस लायक है या नहीं सबसे बेहतर वह खुद जानता है लेकिन पुरुष्कारों की लिस्ट में शामिल होने के बाद भी उसे लोगों के बीच यह साबित करना होता है कि हाँ हम इसको पाने के हकदार थे
लेकिन ऐसे शिक्षक जो विषम परिस्थितियों में शिक्षण कार्य सामाजिक सेवा के रूप में करते हैं जिनके लिये वहां के स्थानीय लोग आंसू बहाने पर मजबूर हैं
सही मायने में यही वास्तविक शिक्षक सम्मान है
और इसे किसी प्रमाण पत्र के रूप में नहीं लिखा जा सकता और न ही दिया जा सकता है
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के उपरांत आज विकासखण्ड शाहबाद जनपद रामपुर के ps रम्पुरा के प्र0अ0 एवं एक आदर्श शिक्षक श्री मुनीश कुमार को विदाई दी गयी ।। इस दौरान अपने प्रिय शिक्षक से बिछड़ने के दुःख से बच्चे फूट-2 कर रो पड़े जिन्हें देख कर सभी की आँखे नम हो गयी।।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
लेकिन इन दोनों ख़बरों में एक अज़ीब सी बात देखने को मिली
एक शिक्षक सैकड़ो किलोमीटर दूर अपने परिवार और बच्चों को छोड़कर एक स्कूल में उन गरीब बच्चों के साथ जिनके माता पिता खेतिहर मजदूर हैं उनके साथ सामंजस्य बिठा कर उनको जीवन यापन हेतु शिक्षित करता है
और न जाने कब इन बच्चों से इतनी आत्मीयता हो जाती है कि जब उसके लिए ख़ुशी का पल होता है उस दिन वह सबसे अधिक दुखी दिखाई पड़ता है .......काश इन्हें न छोड़ना पड़ता
यह बिडम्बना ही है... वर्तमान समय में कोई किसी के लिये नहीं रोता लेकिन कुछ तो बात रही होगी इस शिक्षक में जिसके लिये पूरा स्कूल और गाँव रोया
इसको फूल मालाओं से लाद दिया गया यह न तो नेता था और न ही अभिनेता लेकिन जो भी था किसी से कम न था
वहीँ एक ओर शिक्षक, शिक्षक सम्मान के लिये अपनी सेवा में किये गए कार्यों का लेखा जोखा इकट्ठा कर प्रमाण पत्र के रूप मे कई चरणों और प्रयासों के बाद शिक्षक सम्मान पाने वालो की सूची में शामिल है वह इस लायक है या नहीं सबसे बेहतर वह खुद जानता है लेकिन पुरुष्कारों की लिस्ट में शामिल होने के बाद भी उसे लोगों के बीच यह साबित करना होता है कि हाँ हम इसको पाने के हकदार थे
लेकिन ऐसे शिक्षक जो विषम परिस्थितियों में शिक्षण कार्य सामाजिक सेवा के रूप में करते हैं जिनके लिये वहां के स्थानीय लोग आंसू बहाने पर मजबूर हैं
सही मायने में यही वास्तविक शिक्षक सम्मान है
और इसे किसी प्रमाण पत्र के रूप में नहीं लिखा जा सकता और न ही दिया जा सकता है
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के उपरांत आज विकासखण्ड शाहबाद जनपद रामपुर के ps रम्पुरा के प्र0अ0 एवं एक आदर्श शिक्षक श्री मुनीश कुमार को विदाई दी गयी ।। इस दौरान अपने प्रिय शिक्षक से बिछड़ने के दुःख से बच्चे फूट-2 कर रो पड़े जिन्हें देख कर सभी की आँखे नम हो गयी।।
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