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जमीं खा गई या आसमां में अटका परीक्षा परिणाम, आरओ/एआरओ 2014 की मुख्य परीक्षा और लोअर सबॉर्डिनेट 2015 की मुख्य परीक्षा का रिजल्ट अब तक लंबित

परीक्षा का पैटर्न हो या पारदर्शिता का तकाजा, उप्र लोकसेवा आयोग इसमें संघ लोकसेवा आयोग की तर्ज पर आगे बढ़ने का दावा करता है, लेकिन जब बात परिणाम की आती है तो यूपी पीएससी कहीं ठहरता नहीं।
यह कड़वी सच्चाई है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने में लेटलतीफी की हजारों अभ्यर्थी सजा भुगत रहे हैं।
उप्र लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित वर्ष 2014 की आरओ (समीक्षा अधिकारी)/ एआरओ (सहायक समीक्षा अधिकारी) परीक्षा कुल 572 पदों के लिए हुई थी। इसका प्रारंभिक इम्तिहान 25 अप्रैल 2015 को और मुख्य परीक्षा 29 व 30 अगस्त 2015 को हुई। दोनों परीक्षाओं में बड़ी संख्या में प्रतियोगियों ने भाग लिया। मुख्य परीक्षा के 15 माह बीत रहे हैं, लेकिन अब तक उसका रिजल्ट नहीं आया है। यहां तक कि एआरओ पद के अभ्यर्थियों का टाइप टेस्ट भी हो चुका है। यह परिणाम जारी कराने के लिए कई बार आयोग से अनुरोध और धरना-प्रदर्शन हो चुका है, लेकिन रिजल्ट रोकने का न तो कारण बताया जा रहा है और न ही परिणाम कब तक जारी होगा इसके संकेत दिए जा रहे हैं। परिणाम घोषित न होने से यह आशंका बलवती हो रही है कि कहीं रिजल्ट प्रभावित करने की तैयारी तो नहीं है या फिर मनमाने तरीके से युवाओं को गुपचुप नियुक्ति मिलेगी।
ऐसे ही लोअर सबॉर्डिनेट 2015 परीक्षा का भी हाल है। इसमें करीब 700 से अधिक पदों के लिए बड़ी तादाद में आवेदन हुए। प्रारंभिक परीक्षा 17 जनवरी 2016 को और मुख्य परीक्षा 24 जून 2016 को कराई गई। लगभग छह माह होने को है इसका परिणाम अटक गया है। इन रिजल्ट को जारी कराने को कई प्रयास हुए, लेकिन इस बारे में कोई गंभीर नहीं है। प्रतियोगियों को आशंका है कि रिजल्ट में हेरफेर करने की नीयत से उसे रोका गया है।
सफल होने वाले युवा बने आवेदक1आरओ/एआरओ परीक्षा 2014 का परिणाम अभी आया नहीं है और आरओ/एआरओ 2016 के लिए आयोग ने पिछले माह आवेदन मांगे। इसमें उन युवाओं ने भी आवेदन कर दिया है, जो शायद 2014 में सफल हो चुके हों। अधिकृत तौर पर रिजल्ट न आने से युवाओं के पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था, इसलिए आवेदन की मजबूरी फिर निभाई गई। इससे आवेदन की फीस आदि का अतिरिक्त बोझ तो उन पड़ा ही, उन्हें दोबारा तैयारी भी करनी होगी।
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