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फर्जी प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की आरोपी को अग्रिम जमानत

फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की आरोपी हरियाणा हिसार के असवारा गांव की सरपंच राजबाला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राजबाला को अग्रिम जमानत दे दी है।
हालांकि कोर्ट ने राजबाला को जांच में सहयोग करने और बुलाए जाने पर जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है। 1न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने राजबाला की याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। राजबाला पर आरोप है कि उसने सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए आठवीं का फर्जी प्रमाणपत्र लगाया था। इस मामले में सत्र अदालत और हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद राजबाला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राजबाला की ओर से पेश वकील भीमसिंह और डीके गर्ग ने शीर्ष अदालत से कहा कि हाई कोर्ट ने यह कह कर अर्जी खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। ताकि पता चल सके कि प्रमाणपत्र कहां से और कैसे प्राप्त किया गया था। लेकिन इसकी अब जरूरत नहीं रह गई है क्योंकि मामले में सहअभियुक्त प्रमाणपत्र जारी करने वाला भटिंडा के जनता मिडिल स्कूल का मालिक हर्ष स्वीकार कर चुका है कि उसने राजबाला को 28000 रुपये में फर्जी प्रमाणपत्र जारी किया था। उसने यह भी स्वीकार किया है कि फर्जी प्रमाणपत्र बनाते समय सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी सुरिंदर कौर सहित तीन लोगों के हस्ताक्षर फर्जी बनाए थे। वकीलों की दलील थी कि सहअभियुक्त हर्ष को जमानत मिल चुकी है। इसके बाद राजबाला को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं रह जाती। वह जांच में पूरा सहयोग कर रही है और आगे भी करती रहेगी। दूसरी ओर हरियाणा के वकील ने राजबाला की अग्रिम जमानत का विरोध किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वह मुकदमे के बाद दोषी पाई जाती है तो उसके परिणाम भुगतेगी। लेकिन इसका जमानत से क्या लेनादेना। इसके बाद कोर्ट ने मामले की शुरुआती सुनवाई में राजबाला को दी गई अग्रिम जमानत के अपने आदेश को पूर्ण घोषित कर दिया।

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