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'बेबी को बेस पसंद है' के बाद अब... 'यूपी को ये साथ पसंद है'

'बेबी को बेस पसन्द है' की सुपरहिट धुन पर सुपरस्टार सलमान खान थिरके, तो उनकी फिल्म 'सुल्तान' बॉक्स ऑफिस की सुल्तान साबित हुई. कुछ उसी तर्ज पर सियासी रणनीतिकार पीके ने यूपी की सियासी जंग में टीपू यानि अखिलेश यादव को एक बार फिर 'यूपी का सुल्तान' यानि सीएम बनाने के लिए सियासी नारा गढ़ा है.
लेकिन, पीके रणनीतिकार तो हैं राहुल गांधी के, और राहुल गांधी की कांग्रेस का गठजोड़ है अखिलेश की समाजवादी पार्टी से. इसलिए पीके ने यूपी की सियासी धुन गढ़ते वक़्त इस बात का खास ख्याल रखा है. सूत्रों के मुताबिक, पीके ने बेबी को बेस पसंद है और सलमान की खासकर युवाओं में लोकप्रियता के मद्देनजर नया नारा बनाया है- "यूपी को ये साथ पसंद है".

दरअसल, कांग्रेस और सपा का गठजोड़ हो चुका है. पोस्टर, बैनर और नारों में कांग्रेस-सपा के साथ-साथ प्रियंका-डिंपल और अखिलेश-राहुल खूब दिखने लगे हैं. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को ये खूब रास भी आ रहा है. ऐसे में इसी का फायदा यूपी में लेने के लिए और युवाओं को लुभाने के लिए ये नया नारा गढ़ा गया है.

इससे पहले टीम पीके ने 'अपने लड़के बनाम बाहरी मोदी' का स्लोगन उछाला था. कोशिश रही कि, बिहार चुनाव में बाहरी बनाम बिहारी की तर्ज यूपी में भी बीजेपी का सीएम चेहरा ना होने का फायदा उठाया जाए और पीएम मोदी तो सीएम बनेंगे नहीं, इसलिए नीतीश की तर्ज पर अखिलेश की शख्सियत को चमकाया जाए.

मीडिया रिपोर्ट्रस के मुताबिक, खुद अखिलेश ने इस नारे पर ऐतराज जताया था. लेकिन टीम पीके के सूत्रों के मुताबिक, ये सब बेबुनियाद बातें हैं. "अपने लड़के (राहुल-अखिलेश) बनाम बाहरी मोदी " कभी नारा नहीं था, बल्कि ये एक थीम है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया और ना ही कभी अखिलेश या कांग्रेस से किसी ने कोई ऐतराज जताया.

सूत्रों की मानें तो 29 जनवरी को इस थीम के साथ नए नारे को लखनऊ में लॉन्च करने की योजना है. सूत्र ये भी दावा कर रहे हैं कि, 29 जनवरी को ही अखिलेश और राहुल की संयुक्त प्रेस वार्ता का कार्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है.

कुल मिलाकर टीम पीके , जो कांग्रेस के शहज़ादे यानि राहुल को 2019 में देश का सुल्तान यानि पीएम बनाने की रणनीति के तहत काम कर रही है. उससे पहले उसको यूपी में "टीपू को सुल्तान" यानि यूपी के सीएम की कुर्सी पर बैठाना होगा. फिलहाल ये सियासत है फिल्म नहीं, यहां रीटेक का मौका नहीं मिलता. हालांकि, अब तक पीके भी सियासत के वो डायरेक्टर रहे हैं, जो सिर्फ हिट देते रहे हैं फिर चाहे वो मोदी फ़ॉर पीएम हो या फिर मोदी को चुनौती देकर बिहार में नीतीश फ़ॉर सीएम. तो तैयार हो जाइये 11 मार्च के लिए जब सामने होगी तस्वीर कि, टीपू बने सुल्तान या टीपू हुए फ्लॉप. बन गए तो पीके एक बार फिर चैंपियन वर्ना पीके बैक टू पवेलियन.
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