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ये कैसे शिक्षक? शिक्षामित्रों ने शहर छोड़ने से पहले बिगाड़ी लक्ष्मण मेला मैदान की सूरत

लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों (Shiksha Mitra) का समायोजन रद्द होने से आग बबूला प्रदेश भर के शिक्षक यूपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के करते हुए करीब तीन दिन लखनऊ में जमे रहें।
इस दौरान उन्होंने सिकंदाबाद के करीब लक्ष्मण मेला मैदान में डेरा डाला। करीब 1.70 लाख शिक्षामित्र समायोजन रद्द होने से विकराल आर्थिक संकट को रोकने के लिए हजारों की संख्या में पहुंचे। हालांकि तीन दिन बाद शिक्षामित्रों का एक प्रतिनिधि दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला। इसके बाद प्रदर्शन स्थगित हो गया। लेकिन इससे प्रदेश सरकार को 60 लाख रूपये से अधिक की चपत लग गई। यह चपत शिक्षामित्रों के वेतन से नहीं बल्कि उनके द्वारा मचाए गए उत्पात और गंदगी के चलते लगी।
लूट लिया सौंदर्य, रूठ गई रौनक
गोमती नदी किनारे बने लक्ष्मण मेला मैदान को फिलहाल दूसरा विकल्प न मिलने तक धरना स्थल बनाया गया है। हालांकि गोमती किनारे होने के चलते यहां काफी लोग सुबह-शाम टहलने और नदी किनारे गोमती रिवर फ्रांट का आनंद लेने भी पहुंचते हैं। इसी के चलते वन विभाग सहित अन्य विभागों ने काफी मशक्कत के बाद मैदान व पंचवटी का सौंदर्य देशी-विदेशी पेड़-पौधों के जरिये बढ़ाया था। लेकिन सोमवार से यहां जमें शिक्षामित्रों ने इसे लगभग पूरी तरह बर्बाद कर दिया। किसी ने अपना गुस्सा पेड़-पौधों नोंच व तोड़कर निकाला। किसी ने गर्मी से राहत पाने के लिए बड़े पेड़ों के पत्ते नोंचकर पंखा बना लिया। वहीं कुछ पुलिस वालों ने तो स्थिति बिगड़ने पर शिक्षामित्रों पर काबू पाने के लिए पेड़ तोड़कर उनसे डंडें बना लिए। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि जब मैदान की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों ने शिक्षामित्रों को समझाने की कोशिश की तो वह मारपीट पर भी उतारू हो गए।

चारों तरफ फैली गंदगी
अधिकारियों की माने तो शिक्षामित्रों भले ही चले गए लेकिन उनके द्वारा मैदान व पंचवटी को पहुंचाया गया नुकसान करीब 60 लाख रूपये का है। वहीं हर तरफ कूड़ा और गंदगी की भरमार है। इसे साफ करने में ही तीन से चार दिन लग जाएंगे।
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