नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने शिक्षक
पात्रता परीक्षा के बिना अध्यापन कार्य कर रहे शिक्षामित्रों व सरकार की
विशेष अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका के विचाराधीन रहने के दौरान
टीईटी पास करने वाले अभ्यर्थियों का समायोजन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के
अनुसार करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट
के निर्णय के अनुसार टीईटी पास अभ्यर्थियों को नियमित नियुक्ति के लिए दो
चांस दिए जाएंगे, अन्यथा बिना टीईटी उनका सहायक अध्यापक पद पर समायोजन नहीं
हो सकता।
कोर्ट के फैसले के बाद बिना
टीईटी पास अभ्यर्थियों के शिक्षामित्र पद पर बने रहने अथवा उन्हें हटाने
का मामला पूरी तरह सरकार के पाले में चला गया है।
हल्द्वानी
निवासी ललित द्विवेदी व अन्य ने विशेष अपील दायर कर कहा था कि वह टीईटी
पास नहीं हैं। उन्हें शिक्षामित्र के रूप में समायोजित किया जाए। टिहरी
गढ़वाल निवासी सूर्यकांत व अन्य ने भी विशेष अपील दायर कर कहा था कि
उन्होंने याचिका लंबित होने के दौरान टीईटी पास किया था, इसलिए उनका
शिक्षामित्र के तौर पर समायोजन कर दिया जाए।
पूर्व
में सरकार की ओर से बिना टीईटी पास अभ्यर्थियों को शिक्षामित्र के तौर पर
समायोजन करने का शासनादेश जारी किया था, टीईटी पास कर चुके अभ्यर्थियों ने
इस शासनादेश को याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी तो कोर्ट ने
शासनादेश को निरस्त कर दिया।
कोर्ट ने
कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शिक्षामित्र को टीईटी पास
होना जरूरी है। उन्होंने शासनादेश को असंवैधानिक करार दिया था। एकलपीठ के
आदेश को सरकार, बिना टीईटी पास अभ्यर्थियों व टीईटी कर रहे अभ्यर्थियों ने
विशेष अपील दायर कर चुनौती दी।
हाई
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सरकार व बिना टीईटी पास
वाले अभ्यर्थियों की विशेष अपील खारिज कर दी। साथ ही कोर्ट ने याचिका लंबित
होने के दौरान टीईटी कर रहे अभ्यर्थियों को शिक्षामित्र के पद पर समायोजन
करने अथवा यथावत रखने के आदेश सरकार को दिए हैं।
सरकार
को आदेश का अनुपालन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार करना होगा। मामले की
सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार
शर्मा की खंडपीठ में हुई।
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