लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई के निर्णय के बाद अपने भविष्य को बचाने के लिए आन्दोलित शिक्षामित्रों के हाथ अब भी खाली हैं। अब वे केन्द्रीय मंत्रियों के आश्वासन पर उम्मीद टिकाये हैं।
शिक्षामित्रों का दिल्ली में चार दिनों तक चला धरना बिना कोई नतीजे के खत्म हो गया। केन्द्र सरकार के मंत्रियों से शिक्षामित्रों को कोई तवज्जो नहीं मिलने से वह मायूस हैं और अब लौटने लगे हैं।
शिक्षामित्रों की योजना अब देश स्तर के सभी राज्यों के पैरा शिक्षकों (शिक्षामित्रों) को एकजुट कर अक्टूबर में बड़े आन्दोलन की है, फिलहाल वह स्कूलों में जाने को लेकर एक-दो दिन में निर्णय लेंगे।
उधर आदर्श समायोजित शिक्षामित्र एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने गुरुवार देर रात आन्दोलन समाप्त करने का एलान किया और शुक्रवार को वह कई सांसदों से मिले। अब वह सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकीलों के साथ मंतण्रा करके विधिक राय लाकर यूपी सरकार को देंगे। इसके साथ ही शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट से भी अपने 25 जुलाई के आदेश को लेकर स्पष्टीकरण लाने की जुगत में लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षामित्रों ने सोमवार 11 सितम्बर को दिल्ली के जन्तर-मंतर पर डेरा जमाया था, 14 सितम्बर की शाम को जब उन्होंने संसद घेरने का एलान किया तो दिल्ली पुलिस हरकत में आयी।
आनन-फानन केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से वार्ता करायी गयी। वार्ता में शामिल शिक्षामित्र नेताओं को जावड़ेकर ने सात मिनट सुना और फिर कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कराएंगे और यूपी सरकार की ओर से अगर कोई प्रस्ताव आता है, तो केन्द्र सरकार मंजूरी देने में पीछे नहीं रहेगी। उधर शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद के साथ ही समान कार्य व समान वेतन की मांग कर रहे हैं।
इसके पहले शिक्षामित्र कई दिनों से राजधानी में भी डटे रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों से प्रत्यावेदन लेकर एक समिति बनाकर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। समिति ने सिर्फ शिक्षामित्रों के मानदेय को 3500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव दिया जिसका मंत्रिपरिषद से भी अनुमोदन हो चुका है।
प्रदेश में तकरीबन एक लाख 65 हजार शिक्षामित्र परिषदीय स्कूलों में तैनात हैं, इनमें 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन भी हो चुका था लेकिन पहले हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को रद कर शिक्षामित्रों को टीईटी की अर्हता हासिल करने का निर्देश दिया है, सभी से सूबे के शिक्षामित्र आन्दोलित हैं और स्कूलों में पढ़ाई लड़खड़ाने लगी है।
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शिक्षामित्रों का दिल्ली में चार दिनों तक चला धरना बिना कोई नतीजे के खत्म हो गया। केन्द्र सरकार के मंत्रियों से शिक्षामित्रों को कोई तवज्जो नहीं मिलने से वह मायूस हैं और अब लौटने लगे हैं।
शिक्षामित्रों की योजना अब देश स्तर के सभी राज्यों के पैरा शिक्षकों (शिक्षामित्रों) को एकजुट कर अक्टूबर में बड़े आन्दोलन की है, फिलहाल वह स्कूलों में जाने को लेकर एक-दो दिन में निर्णय लेंगे।
उधर आदर्श समायोजित शिक्षामित्र एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने गुरुवार देर रात आन्दोलन समाप्त करने का एलान किया और शुक्रवार को वह कई सांसदों से मिले। अब वह सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकीलों के साथ मंतण्रा करके विधिक राय लाकर यूपी सरकार को देंगे। इसके साथ ही शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट से भी अपने 25 जुलाई के आदेश को लेकर स्पष्टीकरण लाने की जुगत में लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षामित्रों ने सोमवार 11 सितम्बर को दिल्ली के जन्तर-मंतर पर डेरा जमाया था, 14 सितम्बर की शाम को जब उन्होंने संसद घेरने का एलान किया तो दिल्ली पुलिस हरकत में आयी।
आनन-फानन केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से वार्ता करायी गयी। वार्ता में शामिल शिक्षामित्र नेताओं को जावड़ेकर ने सात मिनट सुना और फिर कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कराएंगे और यूपी सरकार की ओर से अगर कोई प्रस्ताव आता है, तो केन्द्र सरकार मंजूरी देने में पीछे नहीं रहेगी। उधर शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद के साथ ही समान कार्य व समान वेतन की मांग कर रहे हैं।
इसके पहले शिक्षामित्र कई दिनों से राजधानी में भी डटे रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों से प्रत्यावेदन लेकर एक समिति बनाकर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। समिति ने सिर्फ शिक्षामित्रों के मानदेय को 3500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव दिया जिसका मंत्रिपरिषद से भी अनुमोदन हो चुका है।
प्रदेश में तकरीबन एक लाख 65 हजार शिक्षामित्र परिषदीय स्कूलों में तैनात हैं, इनमें 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन भी हो चुका था लेकिन पहले हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को रद कर शिक्षामित्रों को टीईटी की अर्हता हासिल करने का निर्देश दिया है, सभी से सूबे के शिक्षामित्र आन्दोलित हैं और स्कूलों में पढ़ाई लड़खड़ाने लगी है।
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