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50 हजार से 2 लाख लेकर बाँट दिए नियुक्ति पत्र, यूपीएचएसएसपी में घालमेल का मामला

यूपीएचएसएसपी के बजट से 12 जिलों में चल रहे स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डिवेलपमेंट में भर्ती घोटाले का आरोप • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर व्यवस्था प्रमुख ने विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत सीएम को भेजी•

एनबीटी सं, लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मनमाने तरीके से अपने रिश्तेदारों को लाखों रुपये की नौकरी ही नहीं दी बल्कि बाकियों को नौकरी देने के लिए लाखों रुपये की रिश्वत भी ली। सबसे ज्यादा मनमानी और रिश्वतखोरी के आरोप यूपी हेल्थ सिस्टम स्ट्रेथनिंग प्रॉजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) के बजट से चल रहे स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डिवेलपमेंट (एसआईआरडी) के जरिए 12 जिलों में हुई भर्तियों पर लग रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर व्यवस्था प्रमुख प्रेम नारायण की तरफ से इस संबंध में सीएम को पत्र भेजा गया है। उनके मुताबिक प्रॉजेक्ट में स्थाई नियुक्ति का झांसा देकर अभ्यर्थियों से 50 हजार से दो लाख रुपये तक वसूले गए।
सीएम को भेजे गए पत्र के मुताबिक बीकेटी में सोशल इक्यूलिबिलिटी (सामाजिक समानता) का प्रॉजेक्ट चल रहा है। इसके लिए यूपीएचएसएसपी से करीब 10 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया। इस बजट से 12 जिलों में 60 कर्मचारियों की भर्ती होनी थी। इसके लिए इंटरव्यू यूपीएचएसएसपी के अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। आरोप है कि निजी एजेंसी और यूपीएचएसएसपी के जिम्मेदर अधिकारियों ने नियुक्ति पत्र देने से पहले अभ्यर्थियों से करीब 1.50 करोड़ रुपये वसूले। यही नहीं इसके बाद टीऐंडएम सर्विसेज के जरिए अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई और हर अभ्यर्थी से एक लाख रुपये तक जमा करवाए गए। राष्ट्रीय स्वयं संघ के नगर व्यवस्था प्रमुख ने सुबूतों के साथ सीएम को जो पत्र भेजा है, उसके मुताबिक प्रॉजेक्ट में तैनाती के महज छह महीने के भीतर कई अधिकारियों ने जानकीपुरम और सहारा एस्टेट में अपने बेटे और रिश्तेदारों के नाम करोड़ों रुपये के फ्लैट और जमीनें खरीद लीं। सीएम के अलावा उन्होंने विभाग में हुए इस भ्रष्टाचार का शिकायती पत्र स्वास्थ्य मंत्री और महानिदेशक को भी भेजा है।


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