लखनऊ। बीते 23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी के कार्यक्रम में प्रदर्शन करने के दौरान जेल भेजे गए शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने की बात सामने आने के बाद एक बार फिर शिक्षामित्रों का पारा हाई हो गया है।
पहले से ही समान कार्य समान वेतन नहीं मिलने के साथ ही मात्र दस हजार रुपए मानदेय की बात से नाराज चल रहे शिक्षामित्रों ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने अपने एक बयान में कहा कि शासन और प्रशासन पूरी हठधर्मिता पर उतारू हो गया है। जिसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से गिरफ्तार कर बनारस की जेल में बंद लगभग 36 साथियों की प्रशासन की लापरवाही के कारण ही 15 दिन के बाद जमानत हो पायी।
उसके बाद आज मीडिया के माध्यम से पता चला कि शासन व प्रशासन अब उक्त शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने की कार्यवाही करना चाह रहा है, जो अपने आप में एक दमनकारी प्रयास है। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी सरकार और ऐसा प्रशासन आज से पहले कभी देखने को नहीं मिला।
वहीं जितेंद्र शाही ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार और प्रशासन मिलकर हमारे किसी भी शिक्षामित्र के साथ इस तरह की कार्रवाई करती है तो हम लोग न सिर्फ उसका विरोध करेंगे, बल्कि शिक्षामित्र सड़कों पर उतरकर आंदोलन के लिए भी मजबूर हो जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षामित्रों की दिक्कतों को मानवता के आधार पर समझते हुए योगी सरकार को हठधर्मिता और तानाशाही रवैया छोड़कर शिक्षामित्रों के प्रति नरम रवैया अपनाना चाहिए, जिससे शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कार्यक्रम से पहले शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से मिलाने की बात कही गई थी। प्रतिनिधिमंडल का डीएलडब्लू स्थित गेस्ट हाउस में प्रधानमंत्री से मिलाने का समय देने के साथ ही वाराणसी प्रशासन की ओर से पास तक बनाया गया था।
हालांकि सुबह प्रधानमंत्री के सामने अपनी समस्या बताने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल को पुलिस-प्रशासन ने अपनी कस्टडी में ले लिया था। दोपहर तक अपने नेताओं का पता नहीं चलने पर शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल पर हंगामा और प्रदर्शन किया था। जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने दस महिलाओं समेत कुल 37 शिक्षामित्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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पहले से ही समान कार्य समान वेतन नहीं मिलने के साथ ही मात्र दस हजार रुपए मानदेय की बात से नाराज चल रहे शिक्षामित्रों ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने अपने एक बयान में कहा कि शासन और प्रशासन पूरी हठधर्मिता पर उतारू हो गया है। जिसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से गिरफ्तार कर बनारस की जेल में बंद लगभग 36 साथियों की प्रशासन की लापरवाही के कारण ही 15 दिन के बाद जमानत हो पायी।
उसके बाद आज मीडिया के माध्यम से पता चला कि शासन व प्रशासन अब उक्त शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने की कार्यवाही करना चाह रहा है, जो अपने आप में एक दमनकारी प्रयास है। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी सरकार और ऐसा प्रशासन आज से पहले कभी देखने को नहीं मिला।
वहीं जितेंद्र शाही ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार और प्रशासन मिलकर हमारे किसी भी शिक्षामित्र के साथ इस तरह की कार्रवाई करती है तो हम लोग न सिर्फ उसका विरोध करेंगे, बल्कि शिक्षामित्र सड़कों पर उतरकर आंदोलन के लिए भी मजबूर हो जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षामित्रों की दिक्कतों को मानवता के आधार पर समझते हुए योगी सरकार को हठधर्मिता और तानाशाही रवैया छोड़कर शिक्षामित्रों के प्रति नरम रवैया अपनाना चाहिए, जिससे शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कार्यक्रम से पहले शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से मिलाने की बात कही गई थी। प्रतिनिधिमंडल का डीएलडब्लू स्थित गेस्ट हाउस में प्रधानमंत्री से मिलाने का समय देने के साथ ही वाराणसी प्रशासन की ओर से पास तक बनाया गया था।
हालांकि सुबह प्रधानमंत्री के सामने अपनी समस्या बताने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल को पुलिस-प्रशासन ने अपनी कस्टडी में ले लिया था। दोपहर तक अपने नेताओं का पता नहीं चलने पर शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल पर हंगामा और प्रदर्शन किया था। जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने दस महिलाओं समेत कुल 37 शिक्षामित्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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