सीतापुर : 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में साजिशन हुई बड़ी खामियों के
बाद हुई कार्रवाई पर भी सवाल उठने लगे हैं। मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व
शासन की दो सदस्यीय जांच में चयन समिति को दोषी करार दिया गया था।
इसके बावजूद भी महज समिति के अध्यक्ष व सचिव के विरुद्ध ही कार्रवाई हुई जबकि समिति के दो सदस्यों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं प्रकरण की जांच कर गोलमाल रिपोर्ट लगाकर मामले को दबाने में सफल रही जांच टीम के विरुद्ध भी कार्रवाई नहीं हो सकी है।
बेसिक शिक्षा विभाग में बीते वर्ष हुई 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में 13 डीएड व अन्य डिग्री के अभ्यर्थिेयों को नियुक्ति पत्र देकर तैनाती दे दी गई थी जिन पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी थी। इस मामले में कुछ अभ्यर्थियों ने शिकायत की तो तत्कालीन बीएसए राजेंद्र ¨सह ने टीम गठित कर जांच कराई। चार सदस्यीय जांच टीम ने गलत तैनाती व किसी प्रकार की आख्या न लगाते हुए महज अभ्यर्थी की डिग्री होना दर्शाकर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया तो तत्कालीन सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक लखनऊ मंडल महेंद्र ¨सह राणा ने जांच की। निदेशक को भेजी गई जांच रिपोर्ट में चयन समिति को दोषी ठहराया गया था। उधर अपर निदेशक व उप सचिव की जांच में भी चयन समिति को दोषी ठहराया गया था, जिसके आधार पर समिति अध्यक्ष डायट प्राचार्य व सचिव बीएसए को निलंबित किया जा चुका है। समिति में डीएम द्वारा नामित सदस्य जीआइसी के प्रवक्ता विजय बहादुर यादव व एक अन्य सदस्य जीजीआइसी प्रधानाचार्या रजनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। यह भेदभाव तब जबकि भर्ती प्रक्रिया की फाइल में सभी चारों की सहमति पर ही निर्णय लिए गए थे। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट में शामिल एक बीईओ व तीन शिक्षकों पर भी कार्रवाई नहीं हो सकी है। बीएसए अजय कुमार ने बताया कि प्रकरण की जांच शासन स्तर के अधिकारियों द्वारा की जा रही है इसलिए इसमें मुझे कोई जानकारी नहीं है।
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इसके बावजूद भी महज समिति के अध्यक्ष व सचिव के विरुद्ध ही कार्रवाई हुई जबकि समिति के दो सदस्यों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं प्रकरण की जांच कर गोलमाल रिपोर्ट लगाकर मामले को दबाने में सफल रही जांच टीम के विरुद्ध भी कार्रवाई नहीं हो सकी है।
बेसिक शिक्षा विभाग में बीते वर्ष हुई 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में 13 डीएड व अन्य डिग्री के अभ्यर्थिेयों को नियुक्ति पत्र देकर तैनाती दे दी गई थी जिन पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी थी। इस मामले में कुछ अभ्यर्थियों ने शिकायत की तो तत्कालीन बीएसए राजेंद्र ¨सह ने टीम गठित कर जांच कराई। चार सदस्यीय जांच टीम ने गलत तैनाती व किसी प्रकार की आख्या न लगाते हुए महज अभ्यर्थी की डिग्री होना दर्शाकर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया तो तत्कालीन सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक लखनऊ मंडल महेंद्र ¨सह राणा ने जांच की। निदेशक को भेजी गई जांच रिपोर्ट में चयन समिति को दोषी ठहराया गया था। उधर अपर निदेशक व उप सचिव की जांच में भी चयन समिति को दोषी ठहराया गया था, जिसके आधार पर समिति अध्यक्ष डायट प्राचार्य व सचिव बीएसए को निलंबित किया जा चुका है। समिति में डीएम द्वारा नामित सदस्य जीआइसी के प्रवक्ता विजय बहादुर यादव व एक अन्य सदस्य जीजीआइसी प्रधानाचार्या रजनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। यह भेदभाव तब जबकि भर्ती प्रक्रिया की फाइल में सभी चारों की सहमति पर ही निर्णय लिए गए थे। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट में शामिल एक बीईओ व तीन शिक्षकों पर भी कार्रवाई नहीं हो सकी है। बीएसए अजय कुमार ने बताया कि प्रकरण की जांच शासन स्तर के अधिकारियों द्वारा की जा रही है इसलिए इसमें मुझे कोई जानकारी नहीं है।
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