कहते हैं पुराना वक्त कभी लौटता नहीं। घड़ी की सुइयों को भी आपने कभी उल्टी दिशा में चलते नहीं देखा होगा। लेकिन, इलाहाबाद के यमुनापार क्षेत्र में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल का वक्त पूरे 47 साल बाद लौटा। पुरा छात्र सम्मेलन के रूप में।
सत्तर के दशक में प्राइमरी विद्यालय रामनगर-प्रथम, विकासखंड उरुवा में ककहरा सीख कर अब देश भर में अलग-अलग सेवा क्षेत्रों में कार्यरत बुजुर्ग जब गांव में इकट्ठा हुए तो मानों स्कूल की जर्जर हो चुकी बूढ़ी दीवारों की हर एक ईंट भी खिलखिला उठीं। 1प्राइमरी स्कूल रामनगर-प्रथम के पुरा छात्रों के सम्मेलन का अनूठा आयोजन इस गांव के मूल निवासी और अब गाजियाबाद में रहकर अमेरिका की एक प्रतिष्ठित संस्था में बतौर डायरेक्टर अपनी सेवा दे रहे डा. रतन शर्मा ने किया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किए गए तत्कालीन शिक्षक श्रीपति पांडेय और ब्रम्हदत्त मिश्र। राष्ट्रगान से इस सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, उसके बाद दिवंगत हुए शिक्षकों और तत्कालीन सहपाठियों को श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुरातन छात्रों के समक्ष पटरी, दवात, दूधिया, नरकट की कलम इत्यादि सामग्री रखी गई तो मानों बुजुर्ग हो चुके लोगों की आंखें पुरानी यादें ताजा करते हुए छलक पड़ीं। इस कार्यक्रम में 46 पुरातन छात्रों ने भाग लिया। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र नारायण शर्मा ने सभी का स्वागत किया। सभी पुरा छात्रों ने एक साथ जाकर उस भवन को भी देखा जिसमें टाट-पट्टी पर बैठकर उन्होंने ककहरा सीखा था। वह भवन हालांकि अब खंडहर हो चुका है और विद्यालय में पठन-पाठन नए भवन में चल रहा है। कार्यक्रम में शामिल हुए सभी शिक्षकों और पुरा छात्रों को स्मृति स्वरूप गीता और कुरान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रभात शर्मा, कृष्ण कुमार, रतन सिंह मास्टर, विनोद विश्वकर्मा आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
गांव से जुड़ाव और प्रेरणा प्रमुख उद्देश्य : इस शानदार कार्यक्रम का आयोजन करने वाले डा. रतन शर्मा कहते हैं कि तरक्की की राह में जितने भी आसमान छू लो, अपनी उस मिट्टी को नहीं भूलना चाहिए जिसमें खेलकूद कर बचपन बिताया हो। उसी मिट्टी की ताकत से लोग तरक्की की उचाइयां छूते हैं। पुरा छात्र सम्मेलन करने का यही एक उद्देश्य था कि गांव के लोगों से जुड़ाव बना रहे और नई उम्र के बच्चे भी जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा ले सकें।
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सत्तर के दशक में प्राइमरी विद्यालय रामनगर-प्रथम, विकासखंड उरुवा में ककहरा सीख कर अब देश भर में अलग-अलग सेवा क्षेत्रों में कार्यरत बुजुर्ग जब गांव में इकट्ठा हुए तो मानों स्कूल की जर्जर हो चुकी बूढ़ी दीवारों की हर एक ईंट भी खिलखिला उठीं। 1प्राइमरी स्कूल रामनगर-प्रथम के पुरा छात्रों के सम्मेलन का अनूठा आयोजन इस गांव के मूल निवासी और अब गाजियाबाद में रहकर अमेरिका की एक प्रतिष्ठित संस्था में बतौर डायरेक्टर अपनी सेवा दे रहे डा. रतन शर्मा ने किया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किए गए तत्कालीन शिक्षक श्रीपति पांडेय और ब्रम्हदत्त मिश्र। राष्ट्रगान से इस सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, उसके बाद दिवंगत हुए शिक्षकों और तत्कालीन सहपाठियों को श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुरातन छात्रों के समक्ष पटरी, दवात, दूधिया, नरकट की कलम इत्यादि सामग्री रखी गई तो मानों बुजुर्ग हो चुके लोगों की आंखें पुरानी यादें ताजा करते हुए छलक पड़ीं। इस कार्यक्रम में 46 पुरातन छात्रों ने भाग लिया। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र नारायण शर्मा ने सभी का स्वागत किया। सभी पुरा छात्रों ने एक साथ जाकर उस भवन को भी देखा जिसमें टाट-पट्टी पर बैठकर उन्होंने ककहरा सीखा था। वह भवन हालांकि अब खंडहर हो चुका है और विद्यालय में पठन-पाठन नए भवन में चल रहा है। कार्यक्रम में शामिल हुए सभी शिक्षकों और पुरा छात्रों को स्मृति स्वरूप गीता और कुरान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रभात शर्मा, कृष्ण कुमार, रतन सिंह मास्टर, विनोद विश्वकर्मा आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
गांव से जुड़ाव और प्रेरणा प्रमुख उद्देश्य : इस शानदार कार्यक्रम का आयोजन करने वाले डा. रतन शर्मा कहते हैं कि तरक्की की राह में जितने भी आसमान छू लो, अपनी उस मिट्टी को नहीं भूलना चाहिए जिसमें खेलकूद कर बचपन बिताया हो। उसी मिट्टी की ताकत से लोग तरक्की की उचाइयां छूते हैं। पुरा छात्र सम्मेलन करने का यही एक उद्देश्य था कि गांव के लोगों से जुड़ाव बना रहे और नई उम्र के बच्चे भी जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा ले सकें।
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