उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों की जांच के लिए राजी हुई सीबीआइ के लिए इस घोटाले की पर्ते उधेड़ना आसान काम होगा।
इस प्रकार के मामलों पर सीबीआइ ने मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) भर्ती घोटाले की जांच कर जो अनुभव हासिल किया है वह यूपी पीएससी की जांच के लिहाज से बेहद अहम होगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि व्यापमं भर्ती घोटाले और यूपी पीएससी की भर्तियों में हुए ‘खेल’ की प्रकृति लगभग एक जैसी है।
एमपी में प्रवेश परीक्षा कराने वाली संस्था व्यापमं से राज्य के शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में दाखिले व भर्ती में घोटाला सामने आया था। एसटीएफ जांच के बाद यह मामला 2015 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ के सिपुर्द कर दिया था। सीबीआइ ने करीब डेढ़ साल इस घोटाले पर जांच की। कुछ उसी तर्ज पर उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन में हुई भर्तियों में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रहे डॉ. अनिल यादव की मनमानी और उन्हें शासन में उच्च पदों पर आसीन रहे अधिकारियों की सरपरस्ती का मामला है।
हजारों अयोग्य अभ्यर्थियों की शैक्षिक संस्थानों में व प्रशासनिक पदों पर भर्ती और नियुक्ति तो हुई, तमाम बिचौलिए भी घोटालेबाजों की बनी चेन का हिस्सा रहे। सीबीआइ के लिए तह तक पहुंचना आसान काम होगा क्योंकि अधिकारियों के पास व्यापमं के दस्तावेज खंगालने और उन्हें समझने का अनुभव अभी ताजा-ताजा है। कयास तो लगाए जा रहे हैं यूपी पीएससी की जांच में भी वही अधिकारी लगाए जाएंगे जिन्होंने व्यापमं में हुए ‘खेल’ उजागर करने में अच्छा प्रदर्शन किया है।1बिचौलिए भी सावधान : सपा शासन में हुई भर्तियों में जिन बिचौलियों ने अभ्यर्थियों और पूर्व अध्यक्ष के बीच ‘सेतु’ का काम किया, वे भी सीबीआइ जांच के डर से सिकुड़ने लगे हैं। अनुमान है कि जांच की शुरुआत से पहले सीबीआइ ने इसका होमवर्क कर लिया है जिसमें प्राथमिकी दर्ज होने के तत्काल बाद बिचौलिए भी पूछताछ के लिए उठाए जा सकते हैं।
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इस प्रकार के मामलों पर सीबीआइ ने मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) भर्ती घोटाले की जांच कर जो अनुभव हासिल किया है वह यूपी पीएससी की जांच के लिहाज से बेहद अहम होगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि व्यापमं भर्ती घोटाले और यूपी पीएससी की भर्तियों में हुए ‘खेल’ की प्रकृति लगभग एक जैसी है।
एमपी में प्रवेश परीक्षा कराने वाली संस्था व्यापमं से राज्य के शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में दाखिले व भर्ती में घोटाला सामने आया था। एसटीएफ जांच के बाद यह मामला 2015 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ के सिपुर्द कर दिया था। सीबीआइ ने करीब डेढ़ साल इस घोटाले पर जांच की। कुछ उसी तर्ज पर उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन में हुई भर्तियों में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रहे डॉ. अनिल यादव की मनमानी और उन्हें शासन में उच्च पदों पर आसीन रहे अधिकारियों की सरपरस्ती का मामला है।
हजारों अयोग्य अभ्यर्थियों की शैक्षिक संस्थानों में व प्रशासनिक पदों पर भर्ती और नियुक्ति तो हुई, तमाम बिचौलिए भी घोटालेबाजों की बनी चेन का हिस्सा रहे। सीबीआइ के लिए तह तक पहुंचना आसान काम होगा क्योंकि अधिकारियों के पास व्यापमं के दस्तावेज खंगालने और उन्हें समझने का अनुभव अभी ताजा-ताजा है। कयास तो लगाए जा रहे हैं यूपी पीएससी की जांच में भी वही अधिकारी लगाए जाएंगे जिन्होंने व्यापमं में हुए ‘खेल’ उजागर करने में अच्छा प्रदर्शन किया है।1बिचौलिए भी सावधान : सपा शासन में हुई भर्तियों में जिन बिचौलियों ने अभ्यर्थियों और पूर्व अध्यक्ष के बीच ‘सेतु’ का काम किया, वे भी सीबीआइ जांच के डर से सिकुड़ने लगे हैं। अनुमान है कि जांच की शुरुआत से पहले सीबीआइ ने इसका होमवर्क कर लिया है जिसमें प्राथमिकी दर्ज होने के तत्काल बाद बिचौलिए भी पूछताछ के लिए उठाए जा सकते हैं।
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