लखनऊ। "सरकार ने हम शिक्षामित्रों
के साथ धोखा किया है। टीईटी की परीक्षा की तैयारी के लिए समय भी नहीं
दिया। इतने कम समय में तैयारी नहीं हो पाई। एक तो स्कूल में पढ़ाने जाना और
साथ ही घर भी संभालने के कारण तैयारी नहीं कर पाई।" ये कहना है उन्नाव
जिले के पूरनिस्पंसारी गाँव की रहने वाली शशी पाल का।
अध्यापक पात्रता परीक्षा 2017 के रिजल्ट देखते ही शिक्षामित्रों की आशाओं पर पानी फिर गया। इसके साथ ही शिक्षक बनने का पहला मौका ज्यादातर शिक्षामित्रों के हाथ से निकल गया। प्राइमरी स्तर पर केवल 47975 फीसदी अभ्यर्थी ही पास हुए हैं जबकि टीईटी देने वाले शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1.40 लाख थी।
कन्नौज के उमरदा ब्लॉक के तिर्वा गाँव के रहने वाले मोहम्मद परवेज बताते हैं, "टीईटी का जो पेपर कराया गया है वह प्राथमिक स्तर से काफी ऊपर था। एक हिसाब से आईएएस, पीसीएस और एसएससी लेवल का था। हम लोगों को 10 वर्ष से पढ़ा रहे थे इसलिए हम लोग शिक्षा से काफी दूर थे। तैयारी करने का पूरा मौका नहीं मिला। धरना प्रदर्शन में व्यस्त रहे जिस वजह से हम लोगों को तैयारी करने का मौका नहीं मिला। मेरे एग्जाम सेंटर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था जिस वजह से बच्चे दहशत में परीक्षा दी थी। इसलिए हमारे सेंटर का रिजल्ट बहुत खराब रहा। सरकार से हमारी मांग है प्राथमिक स्तर का जो 2011 में पेपर हुआ था उस स्तर का पेपर कराया जाए।"
उन्नाव शहर के कल्याणी देवी मोहल्ले के रहने वाले शिक्षामित्र सच्चिदानंद पांडेय बताते हैं, "टीईटी परीक्षा देने के लिए बहुत ही कम समय मिला था। इस बार तो मैं यह परीक्षा पास नहीं कर पाया लेकिन अगली बार मैं पास करने की कोशिश करूंगा।"
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 1.30 लाख शिक्षामित्रों को समायोजन रद्द कर दिया है। इसके साथ ही इन्हें दो लगातार भर्तियों में मौका देने का आदेश दिया है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लिए 68,500 शिक्षकों की भर्तियां होनी हैं। इसके पहले टीईटी करवाने का फैसला खासतौर पर शिक्षामित्रों के लिए ही लिया गया था लेकिन रिजल्ट को देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि शिक्षामित्रों की एक बड़ी संख्या इस परीक्षा में बाहर हो गई है।
कन्नौज जिले के उमर्दा ब्लॉक की गाँव पूसावरी निवासी शिक्षामित्र मंजूलता बघेल बताती हैं, मैं 45 वर्ष की उम्र पर खड़ी हूं इस उम्र में पढ़ाई का कोई जरिया नहीं बनता। मेरा बेटा इस वर्ष बीटीसी कर रहा है। बच्चा पढ़ रहा है उसको पढ़ा कर मैं कैसे खुद पढ़ सकती हूं। महिला होने के कारण परिवार की जिम्मेदारियां भी हैं। एक तरफ स्कूल देखती हूं और दूसरी परिवार सम्भालती हूं इस सबके बीच पढ़ाई नहीं हो पाती।"
अलीगढ़ के सूरजपुर गाँव के रहने वाले रैदास कुमार बताते हैं, "लखनऊ बेंच में हमारा मामला चल रहा है। हम शिक्षामित्रों के साथ धोखा किया गया है। पेपर आउट ऑफ स्लेबस जान बूझ कर दिया गया। पेपर में जो प्रश्न आएं वो पीसीएस परीक्षा स्तर के थे।"
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
अध्यापक पात्रता परीक्षा 2017 के रिजल्ट देखते ही शिक्षामित्रों की आशाओं पर पानी फिर गया। इसके साथ ही शिक्षक बनने का पहला मौका ज्यादातर शिक्षामित्रों के हाथ से निकल गया। प्राइमरी स्तर पर केवल 47975 फीसदी अभ्यर्थी ही पास हुए हैं जबकि टीईटी देने वाले शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1.40 लाख थी।
कन्नौज के उमरदा ब्लॉक के तिर्वा गाँव के रहने वाले मोहम्मद परवेज बताते हैं, "टीईटी का जो पेपर कराया गया है वह प्राथमिक स्तर से काफी ऊपर था। एक हिसाब से आईएएस, पीसीएस और एसएससी लेवल का था। हम लोगों को 10 वर्ष से पढ़ा रहे थे इसलिए हम लोग शिक्षा से काफी दूर थे। तैयारी करने का पूरा मौका नहीं मिला। धरना प्रदर्शन में व्यस्त रहे जिस वजह से हम लोगों को तैयारी करने का मौका नहीं मिला। मेरे एग्जाम सेंटर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था जिस वजह से बच्चे दहशत में परीक्षा दी थी। इसलिए हमारे सेंटर का रिजल्ट बहुत खराब रहा। सरकार से हमारी मांग है प्राथमिक स्तर का जो 2011 में पेपर हुआ था उस स्तर का पेपर कराया जाए।"
उन्नाव शहर के कल्याणी देवी मोहल्ले के रहने वाले शिक्षामित्र सच्चिदानंद पांडेय बताते हैं, "टीईटी परीक्षा देने के लिए बहुत ही कम समय मिला था। इस बार तो मैं यह परीक्षा पास नहीं कर पाया लेकिन अगली बार मैं पास करने की कोशिश करूंगा।"
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 1.30 लाख शिक्षामित्रों को समायोजन रद्द कर दिया है। इसके साथ ही इन्हें दो लगातार भर्तियों में मौका देने का आदेश दिया है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लिए 68,500 शिक्षकों की भर्तियां होनी हैं। इसके पहले टीईटी करवाने का फैसला खासतौर पर शिक्षामित्रों के लिए ही लिया गया था लेकिन रिजल्ट को देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि शिक्षामित्रों की एक बड़ी संख्या इस परीक्षा में बाहर हो गई है।
कन्नौज जिले के उमर्दा ब्लॉक की गाँव पूसावरी निवासी शिक्षामित्र मंजूलता बघेल बताती हैं, मैं 45 वर्ष की उम्र पर खड़ी हूं इस उम्र में पढ़ाई का कोई जरिया नहीं बनता। मेरा बेटा इस वर्ष बीटीसी कर रहा है। बच्चा पढ़ रहा है उसको पढ़ा कर मैं कैसे खुद पढ़ सकती हूं। महिला होने के कारण परिवार की जिम्मेदारियां भी हैं। एक तरफ स्कूल देखती हूं और दूसरी परिवार सम्भालती हूं इस सबके बीच पढ़ाई नहीं हो पाती।"
अलीगढ़ के सूरजपुर गाँव के रहने वाले रैदास कुमार बताते हैं, "लखनऊ बेंच में हमारा मामला चल रहा है। हम शिक्षामित्रों के साथ धोखा किया गया है। पेपर आउट ऑफ स्लेबस जान बूझ कर दिया गया। पेपर में जो प्रश्न आएं वो पीसीएस परीक्षा स्तर के थे।"
तैयारी के लिए दिया जाए पर्याप्त समय
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही बताते हैं, "हमारी सूचनाओं के मुताबिक लगभग 20 हजार शिक्षामित्र प्राइमरी स्तर की परीक्षा में सफल हुए हैं। मेरा सरकार से अनुरोध है कि अगली बार आयोजित होने वाली टीईटी में शिक्षामित्रों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। टीईटी में सफल शिक्षामित्रों को बधाई, असफल शिक्षामित्र निराश न हो।"फेल शिक्षामित्रों को अगले वर्ष टीईटी परीक्षा का करना होगा इंतजार
सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लिए टीईटी पास करने के बाद ही शिक्षक भर्ती में भाग लेने का मौका मिलता है, लेकिन अब शिक्षामित्रों को अगले वर्ष की टीईटी का इंतजार करना होगा। प्रदेश के स्कूलों में पौने दो लाख शिक्षामित्र समय-समय पर नियुक्त किए गए थे। इनमें से 1.30 लाख शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित हुए थे।पास अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा करनी होगी उत्तीर्ण
लगभग 20 हजार शिक्षामित्र यूपीटीईटी की परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन इन सबको टीईटी पास करने के बाद शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा। इन दो परीक्षाओं में पास होने और मेरिट में अव्वल बनने के बाद ही ये शिक्षक बन पाएंगे।sponsored links:
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