⏺अध्यापक सेवा नियमावली में जिलावरीयता का जिक्र है। जिलावरीयता का अभिप्राय है बीटीसी टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को सर्वप्रथम अपने प्रशिक्षण जनपद में आवेदन करना होता है , एक प्रकार से देखा जाए तो यह
बाध्यता है जबकि कुछ डिस्टिंक्ट केसेस में जिलावरीयता का उल्लंघन होता है जैसा ( जीरो सीट वाले जनपद, बीएलएड०, डीएड० आदि) इसके उपरांत जनपद में प्रथम चरण की काउंसलिंग होने के उपरांत यदि किसी अभ्यर्थी का चयन उसके जनपद में नहीं होता है तो वह अन्य किसी जनपद में आयोजित होने वाली द्वितीय चरण की काउंसलिंग ( पद रिक्त होने की दशा में) में प्रतिभाग कर सकता है।
⏺विधिक तौर पर जिलावरीयता को इंटरटेन नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह शासन का नीतिगत फैसला है । पिछली कई भर्तियों में जिलावरीयता को समाप्त करने के लिए कई याचिकाएं अलग अलग ग्राउंड्स को लेकर योजित की जा चुकी हैं जो निष्प्रभावी साबित हुई हैं। जिलावरीयता डबल बेंच से बहाल है । गौरव भाटी बनाम स्टेट ऑफ यूपी मामले में जस्टिस अरुण टण्डन एवम सुनीता अग्रवाल जी की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए जिलावरीयता को सही ठहराया है। शासन ने अपने हलपनामे मे जिलावरीयता को लागू रखने के लिए क्षेत्रीय भाषा को आधार बनाया है।
⏺जिलावरीयता 20th अमेंडमेंट में भी जारी रखी गयी है अतः अब इसका समापन नहीं किया जा सकता है । समय रहते इसका हल यही है शासन स्तर पर यह बात उठायी जाए एवम पदों का बंटवारा समान ढंग से किया जाए एवम जिन जनपदों में अधिक पद हैं उनके पद काटकर कम सीट वाले जनपदों को दे दिए जाएं।
⏺ शासनादेश जारी होने के उपरांत कोई भी संसोधन नहीं हो पायेगा और न ही हाइकोर्ट से जल्द राहत मिलने वाली है अतः अपने लिंक्स का प्रयोग करके जनपद में पद बढ़वाने के प्रयास कर लें।
धन्यवाद
#शनीकुमारसिंह
बीटीसी 13 बैच
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बाध्यता है जबकि कुछ डिस्टिंक्ट केसेस में जिलावरीयता का उल्लंघन होता है जैसा ( जीरो सीट वाले जनपद, बीएलएड०, डीएड० आदि) इसके उपरांत जनपद में प्रथम चरण की काउंसलिंग होने के उपरांत यदि किसी अभ्यर्थी का चयन उसके जनपद में नहीं होता है तो वह अन्य किसी जनपद में आयोजित होने वाली द्वितीय चरण की काउंसलिंग ( पद रिक्त होने की दशा में) में प्रतिभाग कर सकता है।
⏺विधिक तौर पर जिलावरीयता को इंटरटेन नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह शासन का नीतिगत फैसला है । पिछली कई भर्तियों में जिलावरीयता को समाप्त करने के लिए कई याचिकाएं अलग अलग ग्राउंड्स को लेकर योजित की जा चुकी हैं जो निष्प्रभावी साबित हुई हैं। जिलावरीयता डबल बेंच से बहाल है । गौरव भाटी बनाम स्टेट ऑफ यूपी मामले में जस्टिस अरुण टण्डन एवम सुनीता अग्रवाल जी की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए जिलावरीयता को सही ठहराया है। शासन ने अपने हलपनामे मे जिलावरीयता को लागू रखने के लिए क्षेत्रीय भाषा को आधार बनाया है।
⏺जिलावरीयता 20th अमेंडमेंट में भी जारी रखी गयी है अतः अब इसका समापन नहीं किया जा सकता है । समय रहते इसका हल यही है शासन स्तर पर यह बात उठायी जाए एवम पदों का बंटवारा समान ढंग से किया जाए एवम जिन जनपदों में अधिक पद हैं उनके पद काटकर कम सीट वाले जनपदों को दे दिए जाएं।
⏺ शासनादेश जारी होने के उपरांत कोई भी संसोधन नहीं हो पायेगा और न ही हाइकोर्ट से जल्द राहत मिलने वाली है अतः अपने लिंक्स का प्रयोग करके जनपद में पद बढ़वाने के प्रयास कर लें।
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