32 माह का नहीं मिला मानदेय,और अब नौकरी भी गई: एक लाख शिक्षा प्रेरक हुए बेरोजगार, 31 दिसम्बर के बाद से अनुबंध नहीं बढ़ा

साक्षर भारत मिशन के तहत संविदा पर कार्यरत प्रदेशभर के एक लाख शिक्षा प्रेरकों को 32 महीने का मानदेय नहीं मिला है। यही नहीं 31 दिसम्बर के बाद से इनका अनुबंध भी नहीं बढ़ा है जिससे ये प्रेरक बेरोजगार हो गए हैं।
सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ प्रेरकों ने आदर्श लोक शिक्षा प्रेरक वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले 26 फरवरी को विधानसभा घेराव का निर्णय लिया है।प्रदेश के 65 जिलों में साक्षर भारत मिशन संचालित है। इसके तहत 49921 लोक शिक्षा केंद्रों पर 99482 शिक्षा प्रेरक कार्यरत हैं। प्रेरकों को प्रतिमाह दो हजार रुपये मानदेय मिलता है। इनके अलावा जिले एवं ब्लाक में तकरीबन एक हजार समन्वयक कार्यरत हैं। 31 दिसम्बर को जब इनका अनुबंध समाप्त किया गया तब तक 32 महीने का मानदेय बकाया था, जिसका भुगतान अभी नहीं हो सका है। इलाहाबाद में प्रेरकों की संख्या 2633 है। केंद्र सरकार ने 31 दिसम्बर 2017 के बाद साक्षर भारत मिशन योजना संचालित करने की अनुमति नहीं दी है। शिक्षा प्रेरकों का काम 15 साल से अधिक उम्र के लोगों को साक्षर बनने के लिए प्रेरित करना है। इनके हटने के बाद से निरक्षर लोगों को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने की मुहिम प्रभावित होगी।
32 महीने का बकाया मानदेय का भुगतान एक मुश्त किया जाए। हमारी संविदा जल्द बहाल कर हम प्रेरकों को एक सम्मानजनक मानदेय के साथ प्राथमिक विद्यालय में क्लर्क के रूप में नियुक्त किया जाए। 26 फरवरी को विधानसभा का घेराव करने के लिए 25 फरवरी को ही बसों से लखनऊ रवाना होंगे। -सीमा मौर्या, जिलाध्यक्ष, आदर्श लोकशिक्षा प्रेरक वेलफेयर एसोसिएशन

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