जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बेसिक शिक्षा के बदहाली के दिन बहुरने का
नाम नहीं ले रहे हैं। बेसिक शिक्षा में शिक्षकों की कमी का आलम यह है कि
जिले के 1903 प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा में 150 स्कूल शिक्षामित्रों के
हवाले चल रहे हैं।
बदहाली के दौर से गुजर रही शिक्षा में राहतकारी शासनादेश
न होने के चलते फिलहाल सुधार की आशा भी दिखाई नहीं दे रही है।
बेसिक शिक्षा में अजब गजब की स्थिति है 150 स्कूलों में पठन पाठन बुरी
तरह से प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों की तैनाती न होने के चलते एकल
शिक्षामित्रों के सहारे शिक्षा की गाड़ी खींची जा रही है। विद्यालय में
कक्षा 1 से 5 तक शिक्षा शिक्षामित्रों के सहारे चल रही है। बीते कई सालों
से जिले स्तर में स्थानांतरण प्रक्रिया न होने के चलते यह स्थिति और विषम
होती जा रही है। कारण कि हर साल शिक्षक-शिक्षिकाएं रिटायर होते जा रहे हैं।
तीन साल से जिले में स्थानांतरण के लिए प्रक्रिया बनती है और फिर रुकावट
के चलते ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। इसका खुलासा डीएम के बीएसए दफ्तर
में निरीक्षण के वख्त हुआ। बीएसए ने डीएम के सामने पक्ष रखा तो उनके होश उड़
गए।
बीएसए शिवेंद्र प्रताप ¨सह ने बताया कि शासन ने संबंद्ध किए जाने पर
रोक लगा रखी है। जिसके चलते 150 विद्यालय शिक्षामित्रों से संचालित किए जा
रहे हैं। विभाग के पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। जिसके चलते दिक्कत आ
रही हैं।
एमडीएम जैसे अन्य सरकारी काम के लिए शिक्षक लगे : जिन 150 प्राथमिक
स्कूलों में शिक्षक तैनात नहीं हैं वहां पर एमडीएम सहित तमाम काम
शिक्षामित्रों के हवाले नहीं किए जा सकते हैं ऐसी दशा में विभाग ने पड़ोस के
स्कूल में तैनात शिक्षक अथवा शिक्षिका को यह जिम्मेदारी दी है। एमडीएम के
खातों में भेजी जाने वाली रकम आदि का हिसाब किताब ऐसे शिक्षकों के बल पर
किया जाता है। विभाग के पास अन्य विकल्प न होने के चलते इस काम को अंजाम
दिया जा रहा है।
नौनिहालों के साथ किया जा रहा खिलवाड़ : प्राथमिक स्कूलों को बदहाली का
आलम यह है कि इन्हें शिक्षामित्रों के हवाले कर दिया गया है। शिक्षामित्रों
के हवाले हो जाने के चलते पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। मजबूरी का आलम यह
है कि एक शिक्षामित्र पांच कक्षाओं को कैसे पढ़ाएगा। मजबूरी में विभाग ने
दायित्व दिया है तो फिर शैक्षिक स्तर कैसे ठीक होगा। कुल मिलाकर नौनिहालों
के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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