परिषदीय विद्यालयों में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों की
जांच अभी पूरी भी नहीं हुई कि एक नया मामला सामने आ गया है। जिले में फर्जी
दिव्यांग प्रमाण लगाकर भी कई लोग शिक्षक बन गए हैं। अब ऐसे लोगों की भी
जांच शुरू हो गई है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से ऐसे आधा दर्जन शिक्षकों
को नोटिस भेजी गई है। सभी का दोबारा मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा। जांच में
पूर्व के प्रमाण पत्र के आधार पर दिव्यांगता नहीं मिली तो नौकरी से
बर्खास्त किए जाएंगे।
31 मार्च 2018 तक बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ में कराएं जांच : विशिष्ट
बीटीसी 2007 व 2008 और विशेष चयन 2008 में दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर
करीब 1005 शिक्षक प्रदेश भर में नौकरी कर रहे हैं। जिले के आठ शिक्षक भी
इस सूची में शामिल हैं। ऐसे शिक्षकों पर फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी पाने
का आरोप लगा है। यह मामला हाईकोर्ट तक गया। ऐसे में हाईकोर्ट ने दिव्यांग
कोटे से शिक्षकों बनने वालों की दोबारा जांच का निर्देश दिया था। यह जांच
नव गठित मेडिकल बोर्ड करेगी। दिव्यांग कोटे से शिक्षक बनने वाले आठ लोगों
को बीएसए ने नोटिस भेजा है।
जांच नहीं कराने पर होगी कार्रवाई : दो फरवरी से 31 मार्च 2018 के मध्य
बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ में मूल प्रमाण पत्र के साथ मेडिकल परीक्षण
कराएं। समय से बोर्ड के सामने उपस्थित होकर जांच नहीं कराते हैं तो
अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई होगी। मेडिकल में विकलांगता नहीं दिखती है
तो उनके प्रमाणपत्र फर्जी मानते हुए बर्खास्त कर दिया जाएगा।दिव्यांग
प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षक बोर्ड के सामने पहुंचकर अपनी
जांच कराएं। यदि कोई शिक्षक ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई
होगी। वहीं जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।1- एमआर स्वामी,
बीएसए कौशांबी।
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