प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन के बाद अप्रैल में उत्तर प्रदेश माध्यमिक
शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन तो हो गया लेकिन नतीजा सिफर है। प्रदेश के
4531 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की
नियुक्ति प्रक्रिया नई सरकार बनने के डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी।
वर्तमान में इन स्कूलों में 16 हजार से अधिक पद खाली हैं और चयन बोर्ड विषय निर्धारण में फंसा है। टीजीटी-पीजीटी के 9294 पद 2016 में विज्ञापित हुए थे जबकि वर्तमान में सहायक अध्यापक के 6172 और प्रवक्ता के 953 पद खाली हैं। एडेड कॉलेजों में प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों के 3136 (70 प्रतिशत) खाली हैं।
टीईटी और लिखित परीक्षा विवादों में फंसी
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए आयोजित टीईटी और लिखित परीक्षा विवादों में फंस गई। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की परीक्षा में तमाम फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया और कई मेधावी व सफल छात्र असफल घोषित कर दिए गए। परीक्षा में धांधली के कारण तीन अफसर डॉ. सुत्ता सिंह, जीवेन्द्र सिंह ऐसी और प्रेम चन्द्र कुशवाहा निलंबित हुए। वर्तमान में 31 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की कॉपियों को दोबारा जांचा जा रहा है। टीईटी 2018 के विवादित प्रश्नों का मामला हाईकोर्ट पहुंचा और पिछले दिनों संशोधित परिणाम जारी करना पड़ा। कुछ अन्य प्रश्नों को लेकर विवाद बरकरार है।
एलटी ग्रेड के 10 हजार से अधिक पदों पर भर्ती फाइनल नहीं हो सकी
पूरे साल सर्वाधिक चर्चा में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग रहा। 2018 की शुरुआत में आयोग की सीबीआई जांच शुरू हुई। तमाम भर्तियां पूरी नहीं हो सकीं और एपीओ 2010 जैसी भर्ती को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। आयोग ने राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) शिक्षक भर्ती के लिए पहली बार परीक्षा कराई जिसका परिणाम फंसा है। पीसीएस का सत्र भी अनियमित हो गया। सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारा भी चयन प्रभावित रहा। 15 विषयों के शिक्षकों के 10768 पदों के लिए लिखित परीक्षा 29 जुलाई को प्रदेश के 39 जिलों के1760 केंद्रों पर हुई थी। जिसके लिए कुल पंजीकृत 763317 परीक्षार्थियों में से 52 प्रतिशत यानी तकरीबन चार लाख परीक्षा में शामिल हुए थे।
प्रतियोगी छात्रों को उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से भी कोई खास राहत नहीं मिली। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 47 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसरों की 1150 सीट पर भर्ती वर्तमान समय में गतिमान है। भर्ती परीक्षा तीन चरणों में होनी है। पहला चरण 15 दिसंबर को हो गया। दूसरा चरण 5 जनवरी और तीसरा चरण 12 जनवरी को होना है।
36 हजार से अधिक पदों पर भर्ती कर दी निरस्त
सरकार ने 36 हजार से अधिक पदों पर भर्ती निरस्त कर दी। सपा सरकार के दौरान शुरू हुई उच्च प्राथमिक स्कूलों में 32 हजार से अधिक शारीरिक शिक्षा विषय के अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती सरकार ने निरस्त कर दी। इसके चलते आवेदन करने वाले डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगारों को निराशा मिली। इसी प्रकार उर्दू विषय के चार हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया भी रद्द कर दी गई।
वर्तमान में इन स्कूलों में 16 हजार से अधिक पद खाली हैं और चयन बोर्ड विषय निर्धारण में फंसा है। टीजीटी-पीजीटी के 9294 पद 2016 में विज्ञापित हुए थे जबकि वर्तमान में सहायक अध्यापक के 6172 और प्रवक्ता के 953 पद खाली हैं। एडेड कॉलेजों में प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों के 3136 (70 प्रतिशत) खाली हैं।
टीईटी और लिखित परीक्षा विवादों में फंसी
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए आयोजित टीईटी और लिखित परीक्षा विवादों में फंस गई। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की परीक्षा में तमाम फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया और कई मेधावी व सफल छात्र असफल घोषित कर दिए गए। परीक्षा में धांधली के कारण तीन अफसर डॉ. सुत्ता सिंह, जीवेन्द्र सिंह ऐसी और प्रेम चन्द्र कुशवाहा निलंबित हुए। वर्तमान में 31 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की कॉपियों को दोबारा जांचा जा रहा है। टीईटी 2018 के विवादित प्रश्नों का मामला हाईकोर्ट पहुंचा और पिछले दिनों संशोधित परिणाम जारी करना पड़ा। कुछ अन्य प्रश्नों को लेकर विवाद बरकरार है।
एलटी ग्रेड के 10 हजार से अधिक पदों पर भर्ती फाइनल नहीं हो सकी
पूरे साल सर्वाधिक चर्चा में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग रहा। 2018 की शुरुआत में आयोग की सीबीआई जांच शुरू हुई। तमाम भर्तियां पूरी नहीं हो सकीं और एपीओ 2010 जैसी भर्ती को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। आयोग ने राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) शिक्षक भर्ती के लिए पहली बार परीक्षा कराई जिसका परिणाम फंसा है। पीसीएस का सत्र भी अनियमित हो गया। सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारा भी चयन प्रभावित रहा। 15 विषयों के शिक्षकों के 10768 पदों के लिए लिखित परीक्षा 29 जुलाई को प्रदेश के 39 जिलों के1760 केंद्रों पर हुई थी। जिसके लिए कुल पंजीकृत 763317 परीक्षार्थियों में से 52 प्रतिशत यानी तकरीबन चार लाख परीक्षा में शामिल हुए थे।
प्रतियोगी छात्रों को उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से भी कोई खास राहत नहीं मिली। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 47 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसरों की 1150 सीट पर भर्ती वर्तमान समय में गतिमान है। भर्ती परीक्षा तीन चरणों में होनी है। पहला चरण 15 दिसंबर को हो गया। दूसरा चरण 5 जनवरी और तीसरा चरण 12 जनवरी को होना है।
36 हजार से अधिक पदों पर भर्ती कर दी निरस्त
सरकार ने 36 हजार से अधिक पदों पर भर्ती निरस्त कर दी। सपा सरकार के दौरान शुरू हुई उच्च प्राथमिक स्कूलों में 32 हजार से अधिक शारीरिक शिक्षा विषय के अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती सरकार ने निरस्त कर दी। इसके चलते आवेदन करने वाले डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगारों को निराशा मिली। इसी प्रकार उर्दू विषय के चार हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया भी रद्द कर दी गई।