सिद्धार्थनगर : बेसिक शिक्षा विभाग में चार माह से कार्यरत शिक्षकों का
वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। दस्तावेज सत्यापन न होने से यह संकट पैदा हुआ
है। खास बात यह है कि विभाग के जिम्मेदारों ने ऐसे शिक्षकों को प्रमाण
पत्रों के सत्यापन को जिम्मा दे दिया जिनकी तैनाती खुद चार माह पहले ही हुई
है।
उनका भी सत्यापन नहीं हो पाया है। जनपद में करीब चार माह पहले 1052 शिक्षकों की तैनाती जनपद में हुई है। इनमें समायोजित शिक्षामित्रों को छोड़कर शेष किसी का वेतन आदेश निर्गत नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक सत्यापन के लिए कुछ लोग विभागीय मिलीभगत से पांच हजार रुपये प्रति शिक्षक की दर से वसूली करने में जुटे हुए हैं। जिन्होंने बिचौलियों के हाथ गर्म किये उन्हीं का वेतन आदेश निर्गत हुआ। जबकि पैसा न देने वाले शिक्षकों का दस्तावेज सत्यापन नहीं हो पा रहा है। जिन शिक्षकों के पास खाने को लाले पड़े हैं, वे दर दर की ठोकरें खाने को अभिशप्त हैं। उनका कोई रहनुमा नहीं है। जबकि अन्य शिक्षक वेतन पाने का इंतजार कर रहे हैं।
प्रदेश में 41556 नए सहायक अध्यापक भर्ती पिछले दिनों हुई थी। इसमें जनपद में 1052 नए शिक्षकों की जनपद के विभिन्न विकास खंडों में नियुक्तियां हुई हैं। उनकी ज्वाइ¨नग के चार महीने व्यतीत होने को है, शिक्षक सत्यापन प्रक्रिया में अभी भी उलझे हुए हैं। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर नव नियुक्त शिक्षकों ने यह भी बताया कि सत्यापन कार्य में कुछ शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। उनमें शामिल कुछ शिक्षक पैसा वसूली के लिए कैंडीडेट खोजने का कार्य कर रहे हैं। पहले रुपये की वसूली होगी फिर धीरे धीरे वेतन निर्गत होने का आदेश जारी होगा। सवाल यह है कि फर्जी शिक्षकों के लिए शरणगाह बन चुके सिद्धार्थनगर में जब नव नियुक्त कुछ शिक्षक ही सत्यापन कार्य में लगाये जायेंगे तो किस तरह वास्तविक और फर्जी शिक्षकों का सत्यापन संभव हो पायेगा। सवाल यह भी है कि जब आनलाइन सत्यापन का कार्य संभव है तब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा शिक्षकों का सत्यापन कार्य न कराया जाना, कहीं न कहीं जिम्मेदारों को सवाल और संदेह के घेरे में लाता है। सवाल यह भी है कि सत्यापन अथवा मार्कशीट छंटनी के कार्य के लिए लगाए गए उसी बैच के शिक्षकों के चयन का पैमाना क्या है। शासन के निर्देश के बाद भी भीतर ही भीतर नवनियुक्त शिक्षक वेतन न पाने से अत्यधिक आक्रोशित हैं।
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कुछ शिक्षकों ने पूर्व में शिकायत की थी, उनके साक्ष्य मांगा गया था जो नहीं दे पाए। यदि कोई सत्यापन के नाम पर वसूली कर रहा है तो मामले की जांच कराकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नए शिक्षकों से सत्यापन नहीं कराया जा रहा है।
उनका भी सत्यापन नहीं हो पाया है। जनपद में करीब चार माह पहले 1052 शिक्षकों की तैनाती जनपद में हुई है। इनमें समायोजित शिक्षामित्रों को छोड़कर शेष किसी का वेतन आदेश निर्गत नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक सत्यापन के लिए कुछ लोग विभागीय मिलीभगत से पांच हजार रुपये प्रति शिक्षक की दर से वसूली करने में जुटे हुए हैं। जिन्होंने बिचौलियों के हाथ गर्म किये उन्हीं का वेतन आदेश निर्गत हुआ। जबकि पैसा न देने वाले शिक्षकों का दस्तावेज सत्यापन नहीं हो पा रहा है। जिन शिक्षकों के पास खाने को लाले पड़े हैं, वे दर दर की ठोकरें खाने को अभिशप्त हैं। उनका कोई रहनुमा नहीं है। जबकि अन्य शिक्षक वेतन पाने का इंतजार कर रहे हैं।
प्रदेश में 41556 नए सहायक अध्यापक भर्ती पिछले दिनों हुई थी। इसमें जनपद में 1052 नए शिक्षकों की जनपद के विभिन्न विकास खंडों में नियुक्तियां हुई हैं। उनकी ज्वाइ¨नग के चार महीने व्यतीत होने को है, शिक्षक सत्यापन प्रक्रिया में अभी भी उलझे हुए हैं। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर नव नियुक्त शिक्षकों ने यह भी बताया कि सत्यापन कार्य में कुछ शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। उनमें शामिल कुछ शिक्षक पैसा वसूली के लिए कैंडीडेट खोजने का कार्य कर रहे हैं। पहले रुपये की वसूली होगी फिर धीरे धीरे वेतन निर्गत होने का आदेश जारी होगा। सवाल यह है कि फर्जी शिक्षकों के लिए शरणगाह बन चुके सिद्धार्थनगर में जब नव नियुक्त कुछ शिक्षक ही सत्यापन कार्य में लगाये जायेंगे तो किस तरह वास्तविक और फर्जी शिक्षकों का सत्यापन संभव हो पायेगा। सवाल यह भी है कि जब आनलाइन सत्यापन का कार्य संभव है तब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा शिक्षकों का सत्यापन कार्य न कराया जाना, कहीं न कहीं जिम्मेदारों को सवाल और संदेह के घेरे में लाता है। सवाल यह भी है कि सत्यापन अथवा मार्कशीट छंटनी के कार्य के लिए लगाए गए उसी बैच के शिक्षकों के चयन का पैमाना क्या है। शासन के निर्देश के बाद भी भीतर ही भीतर नवनियुक्त शिक्षक वेतन न पाने से अत्यधिक आक्रोशित हैं।
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कुछ शिक्षकों ने पूर्व में शिकायत की थी, उनके साक्ष्य मांगा गया था जो नहीं दे पाए। यदि कोई सत्यापन के नाम पर वसूली कर रहा है तो मामले की जांच कराकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नए शिक्षकों से सत्यापन नहीं कराया जा रहा है।