एसटीएफ के निशाने पर पूर्व डायट प्राचार्य और चार बीएसए

सिद्धार्थनगर: जिले में करीब एक हजार शिक्षकों के फर्जी नियुक्तियों को लेकर शासन का रवैया सख्त है। मास्टरमाइंड राकेश सिंह सहित तीन की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ के निशाने पर पूर्व प्राचार्य डायट और वर्ष 2009 से अब तक तैनात रहे चार बीएसए निशाने पर हैं। आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के भी संकेत मिले हैं।


जिले में शिक्षक फजीवाड़े की नींव वर्ष 2009 में पड़ी थी, उस दौरान बांसी जिला शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट पर तीन हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी। यहीं से फजीवाड़े की नींव पड़ी थी। करीब पांच सौ से अधिक फर्जी शिक्षक बनाए गए। फर्जी प्रमाण पत्रों की फाइलों को आग लगाकर नष्ट कर दिया था। तत्कालीन डायट प्राचार्य की भूमिका संदिग्ध थी, उन्होंने भी अपने कई रिश्तेदारों को फर्जी तरीके से शिक्षक बनवा दिया था। उस समय के अधिकांश फर्जी शिक्षक यहां से तबादला कराकर दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं। दरअसल शिक्षक फर्जीवाड़े में जेल भेजे गए शिक्षक राकेश सिंह, बाबू धर्मेद्र कुमार और बर्खास्त शिक्षक गोविद लाल गुप्ता ने एसटीएफ के सामने कई ऐसे राज खोले हैं, जिसके आधार पर एसटीएफ की जांच आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार जांच में तत्कालीन डायट प्राचार्य ओम प्रकाश गुप्ता और चार बीएसए विनोद राय, अजय सिंह, अरविद कुमार पाठक और मनिराम सिंह की भूमिका संदिग्ध मिली है। इनके तैनाती के समय में फर्जीवाड़ा खूब फला-फूला है। यहां तक की फर्जी शिक्षकों से हर माह वसूल की जाने वाली रकम का हिस्सा इन्हें भी मिलता रहा है। सूत्रों के अनुसार आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में भी इनपर कार्रवाई हो सकती है। इस मामले में पूछे जाने पर एसटीएफ निरीक्षक गोरखपुर सत्यप्रकाश सिंह ने कहा कि शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े की जांच निरंतर चल रही है। डायट में आगजनी की घटना के कारण को भी खंगाला जा रहा है। संबंधित सभी पूर्व डायट प्राचार्य व बीएसएस से भी पूछताछ की जाएगी।
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