सरकारी पोर्टल पर दिख रहे अधूरे कागज

बदायूं। बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। विभागीय अधिकारी, कर्मचारी अपने चहेतों को ठेका दिलाने के लिए सरकार के नियमों की अनदेखी तक कर जाते हैं। ऐसे में एक मामला तब खुलकर सामने आया, जब एक फर्म ने डीएम से लिखित शिकायत की। 
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कस्तूरबा विद्यालयों में राशन सामग्री सप्लाई करने के लिए ऑनलाइन टेंडर मार्च में मांगे गए थे। कुछ फर्मों की ओर से आवेदन किया गया। इसके बाद में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई। ऐसे में टेंडर ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद प्रक्रिया शुरू की गई। आरोप है कि विभागीय साठगांठ के चलते कासगंज की एक फर्म को बिना पूरे दस्तावेज जमा किए ही प्रक्रिया में पात्र घोषित कर दिया गया।

टेक्निकल बिड खुली, तो पकड़ में आया खेल
-जब मांगे गए टेंडरों की टेक्निकल बिड अधिकारियों की ओर से खोली गई तो कासगंज की एक फर्म द्वारा गोलमाल करने का मामला सामने आया। फार्म में जो शर्तें लागू थीं उन्हें पूरा नहीं किया गया था, जो वर्तमान में भी पोर्टल पर प्रदर्शित हो रहा है।

कमेटी के सदस्य नहीं, फिर भी खोल दी फाइनेंशियल बिड
-टेंडर प्रक्रिया में फाइनेंशियल बिड खोलने के लिए कमेटी में शामिल सभी सदस्यों का होना आवश्यक होता है। आरोप है कि जब छह जून को बिड खोली गई, तब कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। एओ बेसिक, बीएसए व अन्य सदस्य अवकाश पर थे।

टेंडर प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई है। सभी बिडो को जांचने के बाद ही टेंडर दिया गया है। मैं छुट्टी पर था, लेकिन उस दौरान प्रभारी बीएसए मौजूद थे।
-रामपाल सिंह राजपूत, बीएसए

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