लखनऊ. शिक्षामित्रों को तय वेतन से कम वेतन मिल रहा है
और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसको लेकर यूपी सरकार (UP
Government) को फटकार लगाई है।
यूपी के शिक्षामित्रों को कम वेतन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि यह कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है यह-
दरअसल याचिकाकर्ता भोला सिंह की विशेष अनुमति याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में यह कहा गया है कि शिक्षामित्रों को राज्य सरकार से 25 जुलाई 2017 से मानदेय मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपी सरकार ने अगस्त 2017 से मानदेय जारी किया है। यह सीधा-सीधा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
कोर्ट ने सरकार से कहा था यह-
दरअसल कोर्ट ने सरकार से कहा था कि शिक्षकों को समायोजन से पूर्व की स्थिति में रखने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार द्वारा दिया जाने वाला यह मानदेय 10000 रुपये की दर से 26506 पैराटीचर के लिए तथा 8878 रुपये 1216 अपग्रेड पैराटीचर के लिए दिया है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि समायोजन से पूर्व की स्थिति एक 1.24 लाख अपग्रेड पैराटीचर की है। सरकार को जवाब आने के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि दो साल पहले ने राज्य में शिक्षामित्रों के नियमित शिक्षकों के रूप में समायोजित करने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया था। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि उन्हें समायेाजन से पूर्व की स्थिति में लाए और उनके अनुसार वेतन दे।
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यूपी के शिक्षामित्रों को कम वेतन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि यह कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है यह-
दरअसल याचिकाकर्ता भोला सिंह की विशेष अनुमति याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में यह कहा गया है कि शिक्षामित्रों को राज्य सरकार से 25 जुलाई 2017 से मानदेय मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपी सरकार ने अगस्त 2017 से मानदेय जारी किया है। यह सीधा-सीधा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
कोर्ट ने सरकार से कहा था यह-
दरअसल कोर्ट ने सरकार से कहा था कि शिक्षकों को समायोजन से पूर्व की स्थिति में रखने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार द्वारा दिया जाने वाला यह मानदेय 10000 रुपये की दर से 26506 पैराटीचर के लिए तथा 8878 रुपये 1216 अपग्रेड पैराटीचर के लिए दिया है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि समायोजन से पूर्व की स्थिति एक 1.24 लाख अपग्रेड पैराटीचर की है। सरकार को जवाब आने के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि दो साल पहले ने राज्य में शिक्षामित्रों के नियमित शिक्षकों के रूप में समायोजित करने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया था। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि उन्हें समायेाजन से पूर्व की स्थिति में लाए और उनके अनुसार वेतन दे।
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