नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती में बीएड को भी योग्यता मानदंड में शामिल करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बीटीसी अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बीएड को सहायक शिक्षक भर्ती योग्यता मानदंड में शामिल करने के नेशलन काउंसिल फॉर
टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) और उत्तर प्रदेश के संशोधित नियमों को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इसी संबंध में हाई कोर्ट में दाखिल उसकी याचिका की प्रति पेश करने का निर्देश देते हुए 14 जुलाई को सुनवाई की मंजूरी दी है। 14 जुलाई को ही उत्तर प्रदेश सहायक शिक्षक भर्ती को चुनौती देने वाली शिक्षा मित्रों की मुख्य याचिका पर भी सुनवाई होगी।
यह निर्देश गुरुवार को न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिया। इससे पहले याचिका पर बहस करते हुए बीटीसी अभ्यर्थियों के वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती में बीएड को भी योग्यता मानदंड में शामिल करने से उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। यहां मुद्दा यह है कि प्राथमिक स्तर पर बीएड कैसे योग्यता मानदंड हो सकता है। उन लोगों ने इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है, जो कि अभी लंबित है। लेकिन, सहायक शिक्षकों की भर्ती का मुख्य मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए उन्होंने यहां याचिका दायर की है। इस पर पीठ ने उनसे हाई कोर्ट में लंबित याचिका दिखाने को कहा। लेकिन, वह याचिका रिकार्ड पर मौजूद नहीं थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में लंबित याचिका की प्रति पेश करने का आदेश दिया और याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने की बात कही।
एनसीटीई ने 28 जून, 2018 को प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में बीएड को योग्यता मानदंड में शामिल करने की अधिसूचना निकाली। लेकिन, इसमें शर्त रखी कि नियुक्ति के दो साल के भीतर इन लोगों को ब्रिज कोर्स करना होगा। इस बीच एक दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। इसके बाद 24 जनवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने रूल 1981 में 23वां संशोधन करके एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर बीएड को सहायक शिक्षक की प्रशिक्षण योग्यता में शामिल कर लिया। प्रदेश सरकार ने इस संशोधन को पूर्व की तिथि एक जनवरी, 2018 से लागू किया। बीटीसी याचिकाकर्ता अरुणोश ने दोनों ही अधिसूचनाओं को हाई कोर्ट में रिट याचिका के जरिये चुनौती दे रखी है।
सहायक शिक्षकों का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित होने के कारण याचिकाकर्ता ने यहां भी याचिका दाखिल की है, जिसमें हाई कोर्ट के गत छह मई के आदेश को चुनौती दी गई है। उस आदेश में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यूपी सरकार के संशोधित रूल को चुनौती देने का मामला मुख्य मामले से अलग कर दिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि सहायक शिक्षक भर्ती में बीएड योग्य नहीं माने जाएंगे, क्योंकि उन्होंने छह महीने का ब्रिज कोर्स नहीं किया है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सहायक शिक्षक भर्ती से जुड़ी तीन और याचिकाएं थीं। इनमें से एक याचिका शिक्षामित्रों की थी, जिसे कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया। दो याचिकाएं पूर्व सैनिक कोटा के अभ्यर्थियों की थीं, जिन्हें कोर्ट ने 14 जुलाई को सुनवाई के लिए लंबित रखा है।
टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) और उत्तर प्रदेश के संशोधित नियमों को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इसी संबंध में हाई कोर्ट में दाखिल उसकी याचिका की प्रति पेश करने का निर्देश देते हुए 14 जुलाई को सुनवाई की मंजूरी दी है। 14 जुलाई को ही उत्तर प्रदेश सहायक शिक्षक भर्ती को चुनौती देने वाली शिक्षा मित्रों की मुख्य याचिका पर भी सुनवाई होगी।
यह निर्देश गुरुवार को न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिया। इससे पहले याचिका पर बहस करते हुए बीटीसी अभ्यर्थियों के वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती में बीएड को भी योग्यता मानदंड में शामिल करने से उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। यहां मुद्दा यह है कि प्राथमिक स्तर पर बीएड कैसे योग्यता मानदंड हो सकता है। उन लोगों ने इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है, जो कि अभी लंबित है। लेकिन, सहायक शिक्षकों की भर्ती का मुख्य मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए उन्होंने यहां याचिका दायर की है। इस पर पीठ ने उनसे हाई कोर्ट में लंबित याचिका दिखाने को कहा। लेकिन, वह याचिका रिकार्ड पर मौजूद नहीं थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में लंबित याचिका की प्रति पेश करने का आदेश दिया और याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने की बात कही।
एनसीटीई ने 28 जून, 2018 को प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में बीएड को योग्यता मानदंड में शामिल करने की अधिसूचना निकाली। लेकिन, इसमें शर्त रखी कि नियुक्ति के दो साल के भीतर इन लोगों को ब्रिज कोर्स करना होगा। इस बीच एक दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। इसके बाद 24 जनवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने रूल 1981 में 23वां संशोधन करके एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर बीएड को सहायक शिक्षक की प्रशिक्षण योग्यता में शामिल कर लिया। प्रदेश सरकार ने इस संशोधन को पूर्व की तिथि एक जनवरी, 2018 से लागू किया। बीटीसी याचिकाकर्ता अरुणोश ने दोनों ही अधिसूचनाओं को हाई कोर्ट में रिट याचिका के जरिये चुनौती दे रखी है।
सहायक शिक्षकों का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित होने के कारण याचिकाकर्ता ने यहां भी याचिका दाखिल की है, जिसमें हाई कोर्ट के गत छह मई के आदेश को चुनौती दी गई है। उस आदेश में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यूपी सरकार के संशोधित रूल को चुनौती देने का मामला मुख्य मामले से अलग कर दिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि सहायक शिक्षक भर्ती में बीएड योग्य नहीं माने जाएंगे, क्योंकि उन्होंने छह महीने का ब्रिज कोर्स नहीं किया है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सहायक शिक्षक भर्ती से जुड़ी तीन और याचिकाएं थीं। इनमें से एक याचिका शिक्षामित्रों की थी, जिसे कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया। दो याचिकाएं पूर्व सैनिक कोटा के अभ्यर्थियों की थीं, जिन्हें कोर्ट ने 14 जुलाई को सुनवाई के लिए लंबित रखा है।