नई दिल्ली। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार ने विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा न कराने की मांग उठाई है, हालांकि यह संभव नहीं है।
यूजीसी के दिशा-निर्देश अनिवार्य रूप से सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को मानने होंगे यूजीसी एक्ट के सेक्शन 12 में स्पष्ट है कि वह परीक्षा संबंधी फैसला ले सकती है। यूजीसी (स्टैंडर्ड ऑफ इंस्ट्रक्शन फॉर द ग्रांट ऑफ द फर्स्ट डिग्री ) रेग्युलेशन 2003 के बिंदु नंबर 6 में भी स्पष्ट है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को परीक्षा के बारे में यूजीसी के सभी नियमों को मानना होगा। यूजीसी ही विश्वविद्यालय और कॉलेज को मान्यता देती है। उस दौरान संस्थान और यूजीसी में समझौता पत्र हस्ताक्षर होते हैं। इसलिए विश्वविद्यालय और कॉलेजों का इन्हीं नियमों व समझौते के तहत इस एक्ट में लिया गया फैसला मानना होगा। यदि कोई विवि या कॉलेज यूजीसी एक्ट के विपरीत फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा की बजाय असेसमेंट से रिजल्ट जारी करता है तो डिग्री मान्य नहीं होगी। इसके अलावा ऐसे संस्थानों के खिलाफ मान्यता रद्द से लेकर जुर्माना या सीट या कोर्स कटौती का भी इस एक्ट में प्रावधान है।