प्रदेश में बीएड 2020 के दाखिले कराए गए। प्रवेश परीक्षा हुई। काउंसलिंग करा दी गई। अब दाखिले की प्रक्रिया पूरी होने जा रही है। लेकिन डीएलएड (पहले बीटीसी) सत्र 2020-21 इस बार शून्य होने के कगार पर है। असल में यहां दाखिले की प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई। जबकि डीएलएड में सिर्फ मेरिट के आधार पर प्रवेश लिए जाते हैं। इस मामले को लेकर सांसद से लेकर विधायक तक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। इन जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सत्र शून्य होने की स्थिति में इन संस्थानों में पढ़ाने वाले हजारों शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
राजधानी समेत प्रदेश भर में डीएलएड कॉलेजों की संख्या करीब 2500 है। इनमें करीब सवा दो लाख सीटें हैं। उत्तर प्रदेश प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन के महासचिव अभिषेक यादव ने बताया कि डीएलएड में प्रशिक्षुओं का प्रवेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज के द्वारा ऑनलाइन आवेदन पत्र लेकर मेरिट के आधार पर किया जाता है। पूरी प्रक्रिया डिजिटल होती है। बीएड तक में प्रवेश परीक्षा कराकर दाखिले हो गए हैं लेकिन डीएलएड में आवेदन भी नहीं मांगे गए हैं।
पहले भी किया गया है सत्र शून्य
एसोसिएशन के अध्यक्ष सशक्त सिंह ने बताया कि वर्ष 2015-16 में डीएलएड का सत्र शून्य घोषित किया गया था ताकि 2016-17 से सत्र को ससमय चलाया जा सके। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रवेश प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष सितम्बर अक्तूबर तक पूरी होती है। जबकि सत्र जुलाई से प्रारंभ हो जाना चाहिए।
एक साल बर्बाद, हजारों की रोटी पर संकट
विधायक रामानन्द बौद्ध की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे गए में सत्र शून्य होने छात्रों का एक वर्ष बर्बाद होने के साथ ही हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरी की समस्या का जिक्र किया गया है। उन्होंने लिखा है कि दाखिले न होने से संस्थान बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। राज्य सभा सांसद जय प्रकाश निषाद ने जल्द से जल्द प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए लिखा है।