69000 शिक्षक भर्ती के सम्वन्ध में शिक्षामित्रों की सुप्रीमकोर्ट से अपील

 सेवा में,

श्रीमान चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
नई दिल्ली
विषय:-69000 शिक्षक भर्ती के सम्वन्ध में,


🔴शिक्षा मित्रों के चयन की प्रक्रिया वर्ष 2001 से उत्तर प्रदेश राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री माननीय कल्याण सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के कक्षा 1से 5 तक के संचालित प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षा मित्रों को नियुक्त किया ।
🔴उस समय प्रदेश में सहायक अध्यापक की कमी थी अधिकांश विद्यालय में ताले लटके हुए थे ।
🔴ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को इन समस्याओं के कारण उनको शिक्षा धारा से जोड़ना कठिन था ।
🔴 तब माननीय मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने तथा ग्रामीण बच्चों को उनके परिवेश के अनुसार शिक्षा को शुलभ कराने के लिए उनके ही परिवेश की शिक्षा मित्रों का चयन कर प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त किया गया ।
🔴बेसिक शिक्षा विभाग में उस समय सहायक अध्यापक बनने की योग्यता इण्टर मीडिएट व दो वर्षीय बी टी सी प्रशिक्षण कर सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त करने का प्रावधान था
🔴उस समय इंटर पास व दो वर्षीय बी टी सी योग्यता धारी अभ्यथी लाना बहुत कठिन था इन जटिल परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से मिलकर शिक्षा मित्र पद की योग्यताएं तथा प्रशिक्षण की समय सारणी निर्धारित कर शिक्षा मित्रों की नियुक्ति की गई ।
🔴उस समय शिक्षा मित्र पद के लिए सहायक अध्यापक पद के समकक्ष कम से कम इंटरमीडिएट योग्यता तथा 30 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण की योग्यता निर्धारित कर गॉव के मेधावी छात्रों के आवेदन पत्र आमंत्रित कर हाई स्कूल व इण्टर के अंकों को जोड़कर मैरिट के आधार पर उच्च अंक प्राप्त करने बाले अभ्यर्थी में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त अंको बाले अभ्यर्थी का चयन किया गया था ।
🔴उस समय सरकार द्वारा इस पद के लिये अल्प मानदेय 2250 रुपये प्रति माह दिया जाता था ।
🔴उस समय से समय समय पर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सहायक अध्यापकों को दिए जाने बाले प्रशिक्षण को शिक्षा मित्रों के साथ बैठकर कराया जाता था ।
🔴उस समय बहुत से शिक्षा मित्र के इंटरमीडिएटके साथ -साथ ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता प्राप्त किये हुए थे ।
🔴वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित किया गया तो उसमें शिक्षकों की योग्यताओं को परिवर्तन किया गया ।उसमे कहा गया कि कार्यरत शिक्षण (शिक्षा मित्र)या शिक्षक वन्धु किसी भी राज्य में जिस नाम से किया प्रशिक्षण अध्ययन कार्य नही करेंगें ।
🔴भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के विभाग NCTE द्वारा ऐसे शिक्षा मित्रों को जो ग्रेजुएट है उनको दो वर्षीय दूरस्थ BTC प्रशिक्षण कराकर उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षा मित्र के पद पर नियुक्त करने का अधिकार कर दिए जाने का प्रावधान कर दिया ।
🔴उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री मायावती ने NCTE की गाइडलाइंस का पालन करते हुए वर्ष 2009 में ग्रेजुएशन पास शिक्षा मित्रों की सूची तैयार कराकर NCTE व राष्ट्रीय संस्थान नई दिल्ली को सूची भेजकर प्रशिक्षण की अनुमति प्राप्त कर शिक्षा मित्रों को दो वर्षीय BTC प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया गया।
🔴वर्ष 2012 में सपा सरकार के शासन काल में माननीय मुख्यमंत्रीअखिलेश यादव के निर्देशन में दो वर्षीय BTC प्राप्त शिक्षा मित्रों का वर्ष 2014 व वर्ष 2015 में सहायक अध्यापक पद पर 137000 समायोजन कर दिया गया । उस समय इण्टर पास शिक्षा मित्र 3500 रुपये तथा स्नातक BTC पास समायोजित शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक पद के समान वेतन कर दिया गया ।
🔴वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2014-15 तक अल्प मानदेय प्राप्त करने बाले शिक्षा मित्रों की नियुक्ति व उनके कार्य के विरुद्ध न्यायालय में किसी प्रकार का बाद विवाद नही किया गया था । 14 वर्ष के कार्यकाल में किसी ने भी शिक्षा मित्रों को न्यायालय में चुनौती नही दी थी ।
🔴जव सरकार ने प्रशिक्षण कराकर समायोजित कर दिया तभी कुछ लोगो ने योग्यता को लेकर न्यायालय में वाद-विवाद दायर कर दिया ।
🔴उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 2015 में समायोजन को रद्द कर दिया गया । फिर शिक्षा मित्रों के संगठन ने हाई कोर्ट इलाहाबाद के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया ।
🔴सुप्रीम कोर्ट के जज श्री दीपक मिश्रा जी ने हाई कोर्ट के जजमेन्ट पर स्टे कर दिया ।
🔴कुछ समय बाद न्यायाधीश आदर्श गोयल ब न्यायाधीश यू यू ललित की बेंच में केस की सुनवाई हुई । इनके द्वारा 25 जुलाई 2017 को 137500 समायोजित शिक्षा मित्रों का समायोजन रदद् कर दिया गया ।
🔴 सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि नियमो में संशोधन करकरे 137500 पदों पर सभी को दो समान भर्ती में अवसर दिए जाएं । और कोर्ट ने कहा कि इनको आयु में छूट और वेटेज भी दिया जाए । जिससे इनकी सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति हो सके ।कोर्ट ने कहा हम किसी प्रकार का विरोध नही करेंगे ।
🔴25 जुलाई 2017 को हमारा समायोजन रदद् किया तो उस समय अध्यापक बनने की योग्यता BTC के साथ TET पास होना अनिवार्य था ।25 जुलाई को भी हम लोग 22000 शिक्षा मित्र TET पास थे ।लेकिन कोर्ट ने सभी का समायोजन रदद् कर दिया । सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शिक्षा मित्रों को दो भर्तियों में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 अंक का वेटेज और आयु में छूट दी गई । लेकिन सरकार ने 25 अंक के वेटेज को समाप्त करने के लिए ATRE परीक्षा लगा दी जिससे सभी शिक्षा मित्र भर्ती से बाहर हो जाये । सभी शिक्षा मित्रों की कट ऑफ मैरिट 80 % से 87% के बीच मे है फिर भी शिक्षा मित्रों को भर्ती में शामिल नही किया गया ।
🔴 जब हमारा समायोजन रदद् किया गया तो उस समय ATRE परीक्षा नही थी ।उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षक भर्ती से बाहर करने के लिए TET के बाद ATRE परीक्षा लगाई जो कि न्याय उचित नही थी ।

🔴पहले चरण में 68500 सहायक अध्यापक पद के लिए राज्य सरकार ने विज्ञापन जारी किया कि सभी आवेदन करने बाले को लिखित परीक्षा देनी होगी ।
🔴 *68500 की भर्ती में मूल विज्ञापन बहाल हुआ और बाद में लगाया गया 30-33 कोर्ट ने अमान्य कर दिया जिसका तर्क था कि खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जा सकते हैं वही 69000 में खेल के बीच में खेल के नियम बदलते हुए परीक्षा के बाद 60-65 पासिंग मार्क लगाया गया जो की पूरी तरह से गलत है फिर भी कोर्ट ने इसे सही माना।*

🔴 *हिमाचल प्रदेश के एक केस में भूतलक्षी संशोधन को 69000 शिक्षक भर्ती के पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमान्य किया गया तो 69000 शिक्षक भर्ती में भूतलक्षी संशोधन को मान्य कैसे किया गया।*


🔴 *B.Ed जिन्हें योग्यता धारी कहा जाता है उन्हें अभी 6 महीने का ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा उसके बाद ही उनकी डिग्री कंप्लीट होगी अतः अभी हमारी योग्यता उनसे ऊपर है फिर भी गलत तरीके से, गलत संशोधन करते हुए, सरकार द्वारा अपने चहेतों को गलत तरीके से, 69000 शिक्षक भर्ती में नियुक्ति पत्र दिया गया जो खेद का विषय है।*

🔴 *सहायक अध्यापक की भर्ती में प्रशिक्षु अध्यापक कब से सम्मिलित किया जाने लगा।*

🔴 *25 जुलाई 2017 को आनंद कुमार यादव केस में शिक्षामित्रों को दिए गए दो समान मौकों में बराबर पासिंग मार्क ना करते हुए एक में 40- 45 और दूसरे में 60-65 क्यों रखा गया क्या यहांँ पर आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन नहीं हुआ। हमारा एक शिक्षामित्र भाई 45% नंबर पर कर नौकरी कर रहा है और हम 45% नंबर पाकर नौकरी से बाहर है।*

🔴 *ऐसी स्थिति में आनंद कुमार यादव केस का आर्डर हम पर लागू कैसे हुआ? हमारा भारांक कहांँ गया और 25 जुलाई 2017 के आर्डर के अनुसार अगर हमें भारांक नहीं मिला तो हमारे साथ न्याय कैसे हुआ जबकि भारांक जोड़ने के बाद हमारा हर शिक्षामित्र 69000 चयन सूची में अंदर आता है।*

🔴 *69000 शिक्षक भर्ती के आर्डर में हर जगह कट ऑफ लिखा हुआ है तो हमारा हर शिक्षामित्र साथी जिसने 69000 शिक्षक भर्ती में प्रतिभाग किया था 60-65 कटऑफ को टच कर रहा है फिर हमें चयन से बाहर कैसे रखा जा सकता है।*


🔴 *68500 और 69000 भर्ती के बीच जो सबसे बड़ा अंतर है वह यह है कि 68500 में खेल के बीच में खेल का नियम नहीं बदला जाएगा और 69000 में खेल के बीच में खेल का नियम बदला जाएगा इसके आधार पर भर्ती हुई है तो दोनों भर्तियों में से कौन सी भर्ती बैध है और कौन सी भर्ती अवैध।*


🔴 *सुप्रीम कोर्ट द्वारा 37339 पद जो हमारे लिए होल्ड किए गए थे वह आर्डर में कहीं भी अन होल्ड नहीं हुए हैं अर्थात हमारे होल्ड पदों पर हमें नियुक्ति दी जाए।*


🔴 *माननीय कोर्ट द्वारा हमारा जो 40-45 पास शिक्षामित्रों का डाटा मांँगा गया था वह किस लिए था यह हर शिक्षामित्र जानना चाहता है ।
सुप्रीम कोर्ट में 15 जुलाई और 24 जुलाई 2020 को जो सुनवाई हुई है उसकी ऑडियो व वीडियो हमारे पास है उसमें जज साहब द्वारा कही नही कहा गया कि परीक्षा के बाद पासिंग मार्क लगाने का सरकार को हक़ है । लेकिन जो ऑर्डर दिया गया है उसमें कट ऑफ दिखाया गया है । क्यों?


🔴 *एक बात और जो किसी भी शिक्षामित्र के समझ में नहीं आ रही है वह यह है कि हम 40,000 में अयोग्य तो 10000 में योग्य कैसे हैं क्या हमारी योग्यता का निर्धारण पैसों के मापदंडों पर मापी जा रही है। अगर हम 40000 में बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं तो 10000 में बच्चों का भविष्य बना कैसे रहे हैं, इस बात का जवाब शिक्षामित्र समाज आप सबसे जानना चाहता है क्योंकि बच्चों को पढ़ाने के मामले में हमसे वही काम लिया जा रहा है जो वेतन भोगी शिक्षकों से लिया जाता है लेकिन पैसों के मामले में सबको हम अयोग्य नजर आते हैं ऐसा भेदभाव क्यों?*
🔴सर हम आपसे आशा करते है कि हमारे केस को दुवारा सुना जाये जिससे हमें न्याय के मंदिर से न्याय मिल सके । अगर सरकार ही न्यायपालिका को चलाएगी तो न्यायालय में गुहार लगाने से क्या फायदा । अगर न्याय जिंदा है तो केस जो तुरन्त दुवारा सुना जाये ।