अब शिक्षामित्रों की जगह खंड विकास अधिकारी का कार्य करेंगे शिक्षक

 एटा। अगले वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश की योगी सरकार शिक्षामित्रों से भयभीत दिख रही है। शिक्षामित्रों को बीएलओ पद से कार्य मुक्त किए जाने को लेकर दिए गए निर्देशों से यह स्पष्ट हो गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देश पर एस डीएम जलेसर मानवेन्द्र सिंह द्वारा तहसील क्षेत्र के बीएलओ का कार्य कर रहे सभी शिक्षामित्रों को कार्य मुक्त कर बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों यह कार्य सौंपा गया है। राजनैतिक पण्डित सरकार की इस कार्रवाई को विधान सभा चुनाव पूर्व ही पराजय की आशंका के रूप में देख रहे है।



बता दें कि गत 29 जून 2021 को एसडीएम जलेसर मानवेंद्र सिंह द्वारा तहसील क्षेत्र के जलेसर तथा अवागढ़ विकास क्षेत्रों में करीब डेढ़ सौ से अधिक नए बीएलओ नियुक्त किए गए है। जो सभी बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक हैं। अभी तक यह कार्य शिक्षा मित्रों द्वारा किया जा रहा था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी लखनऊ के निर्देश पर नव नियुक्त बीएलओ को विधानसभा क्षेत्र निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत डोर टू डोर जाकर निर्वाचक नामावली को मतदाताओं के समक्ष जाकर पढ़ने तथा नये मतदाताओं नाम बढ़ाए जाने, मृत व्यक्ति के नाम को घटाया जाने, नाम संशोधित किए जाने आदि निर्वाचन सम्बन्धी किये जाने का आदेश दिया गया है।

वहीं प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को बीएलओ कार्य से कार्यमुक्त
करके शिक्षकों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाने को लेकर बसपा पूर्व जिला उपाध्यक्ष व सभासद उत्साह भारद्वाज, सपा के पूर्व जिला पंचायत सदस्य वीरेश यादव तथा गत विधान परिषद चुनाव में आगरा स्नातक खंड से प्रत्याशी रहे दिनेश शर्मा आदि राजनैतिक दिग्गजों का मानना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पूरी तरह से हताशा और निराशा में डूबी हुई है। गत विधासभा चुनाव से पूर्व शिक्षामित्रों से संकल्प पत्र के माध्यम से किये गये वायदे को सरकार साढ़े चार साल में भी पूरा नहीं कर पाई है। इसी नाकामी को छुपाने के लिए सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को बीएलओ के कार्य से मुक्त कर दिया गया है। योगी सरकार को संकल्प पत्र में की गई घोषणा को पूरा किया जाना चाहिए था। सरकार का यह कृत्य उसकी चुनावों पूर्व हार की आशंका को दर्शाता है।