संभल समायोजन बहाल करने की मांग उठा रहे शिक्षामित्रों ने मानदेय बढ़ाने के शासन के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्र लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि स्थायी समाधान किया जाए। जिससे शिक्षामित्रों के परिवार की गुजर हो सके।
ऐसे मानदेय बढ़ाने से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। उनका कहना है कि बहाली की लड़ाई लड़ते लड़ते कितने शिक्षामित्रों की जान चली गई। इसके बाद भी सरकार ने समाधान नहीं किया। शासन की ओर से शिक्षामित्रों के एक हजार बढ़ाने जाने का प्रस्ताव तैयार हुआ है। जल्द मुख्यमंत्री इसके लिए घोषणा कर सकते हैं। मानदेय बढ़ने की घोषणा की सूचना मिलते ही शिक्षामित्रों ने फिर से अपनी मांग को दोहराना शुरू कर दिया है। संभल जिले में करीब 1648 शिक्षामित्र हैं।
सरकार से अपेक्षा है कि डेढ़ लाख परिवारों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री निश्चित रूप से शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बना कर उनका सम्मान जरूर वापस करेंगे। मानदेय बढ़ाना हमारी समस्या
का हल नहीं है। गिरीश यादव, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, संभल
एनसीईटी नई दिल्ली के अनुसार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक पात्रता परीक्षा पास सभी शिक्षामित्र सहायक अध्यापक की योग्यता रखते हैं। सरकार टीईटी पास को सहायक अध्यापक बनाए। उपासना ठाकुर, शिक्षामित्र
शासन अगर चाहे तो समस्त शिक्षामित्रों का भविष्य नई शिक्षा नीति 2020 में उज्जवल कर सकता है। टीईटी उत्तीर्ण को प्राइमरी में तथा नॉन टीईटी को प्री प्राइमरी में समायोजित किया जा सकता है। रविंद्र कुमार खारी, जिला प्रवक्ता, संभल उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
उत्तर प्रदेश में समायोजन रद्द होने के पूर्व लगभग 35 हजार शिक्षामित्र (टैट) पास थे। शिक्षामित्र जो समायोजन पूर्व टैट पास थे। योग्यता होने के बाद भी आज परेशान हैं। सीमा यादव, शिक्षामित्र