अवकाश नकदीकरण भुगतान का वरीयता क्रम तय, अब यह होगा नियम

 लखनऊ : राज्य सरकार के कर्मचारियों की मृत्यु होने पर उनके अवकाश लेखे में जमा अर्जित अवकाश के बदले में आश्रितों को धनराशि का नकद भुगतान करने के लिए शासन ने वरीयता तय कर दी है। वित्त विभाग ने इस बारे में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया है।



यदि मृत कर्मचारी पुरुष था तो अर्जित अवकाश के नकदीकरण की राशि उसकी विधवा को दी जाएगी। यदि मृत कर्मचारी स्त्री थी तो इस रकम का भुगतान उसके पति को होगा। विधवा को भुगतान की स्थिति में यदि एक से अधिक विधवाएं हों तो सबसे बड़ी जीवित विधवा को भुगतान किया जाएगा। सबसे बड़ी जीवित विधवा का तात्पर्य जीवित विधवाओं के विवाह की तिथि के अनुसार वरिष्ठता के संदर्भ में लगाया जाएगा न कि उनकी आयु के आधार पर। विधवा या पति के न होने पर सबसे बड़े जीवित पुत्र या एक दत्तक पुत्र को यह राशि दी जाएगी। इनमें से किसी के भी न होने पर यह रकम सबसे बड़ी जीवित अविवाहित पुत्री को दी जाएगी। अविवाहित पुत्री के भी न होने की दशा में इस धनराशि का भुगतान सबसे बड़ी जीवित विधवा पुत्री को किया जाएगा।

यदि जीवित विधवा पुत्री भी नहीं है तो यह रकम कर्मचारी के पिता को दी जाएगी। पिता के भी न होने पर अवकाश नकदीकरण का भुगतान कर्मचारी की माता को किया जाएगा। इनमे से किसी के भी न होने पर सबसे बड़ी जीवित विवाहित पुत्री को धनराशि दी जाएगी।

जीवित विवाहित पुत्री के भी न होने पर 18 वर्ष से कम आयु के सबसे बड़े जीवित भाई को इस रकम का भुगतान किया जाएगा। इनमें से किसी के भी न होने पर सबसे बड़ी जीवित अविवाहित बहन को यह धनराशि दी जाएगी। जीवित अविवाहित बहन के भी न होने पर यह रकम सबसे बड़ी जीवित विधवा बहन को सौंपी जाएगी। जीवित विधवा बहन के भी न होने पर अवकाश नकदीकरण का भुगतान मृत ज्येष्ठ पुत्र के सबसे बड़े बच्चे को किया जाएगा।