कोरोना काल के बाद दिखा विद्यालय में बदलाव, परिसर में बना सुसज्जित
संतकबीरनगर। कोरोना काल में सबसे अधिक प्रभावित विद्यालय ही हुए। विद्यालय बंद होने के चलते विद्यार्थियों की संख्या जहां घट गई।
वहीं, विद्यार्थी भी विद्यालय आने में कम रूचि दिखाने लगे। ऐसे में जिले के कंपोजिट विद्यालय बारा के शिक्षकों ने घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क किया और बच्चों को स्कूल भेजने की गुजारिश की तो अभिभावकों ने भी साथ दिया। विद्यालय की छात्र संख्या 501 पहुंच गई। कोरोना काल के पहले इस विद्यालय में छात्र संख्या 340 रही। विद्यालय परिसर में साज सज्जा हुई है। अब इसे किसी प्राइवेट विद्यालय से कम नहीं आका जा रहा है।
- मनमानी : निलंबित शिक्षक का तानाशाह रवैया, जबरन रजिस्टर में हस्ताक्षर , जाने पूरा क्या है मामला?
- सख्ती: औरैया के डीएम और लालगंज के एसडीएम निलंबित,पांच दिनों में दूसरी बड़ी कार्रवाई
- शर्मनाक हरकत : बेसिक शिक्षा विभाग के वाट्सएप ग्रुप पर डाला अश्लील वीडियो, शिक्षिकाओं में भारी गुस्सा, डीएम से करेंगी शिकायत
- हाईकोर्ट : कटऑफ अंक व मार्कशीट जारी करने के मामले में आयोग से जवाब तलब
- एआरपी की रिपोर्ट पर शिक्षकों से मांगा स्पष्टीकरण
- कोर्ट पर टिका प्रधानाचार्य भर्ती का परिणाम
खलीलाबाद ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय अयारा का परिसर किसी प्राइवेट विद्यालय से कम नहीं है। यहां पर कुल छह शिक्षक, दो शिक्षामित्र और दो अनुदेशक तैनात है इन्ही शिक्षकों की बदौलत इस विद्यालय मे अब छात्र संख्या 501 है यहां पर तैनात प्रधानाध्यापक राकेश कुमार ने बताया कि कोविड काल के पहले यहां पर कुल 340 विद्यार्थी थे। उसके बाद कोरोना का प्रकोप आ गया और विद्यालय बंद हो गया। हालांकि ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया गया जिन विद्यार्थियों के अभिभावकों के पास मल्टी मीडिया मोबाइल हेडसेट थे उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाया गया।
- ‘बेसिक शिक्षा सुधरी तो बेहतर होगी आगे की पढ़ाई’: मुख्यमंत्री
- हाईस्कूल विज्ञान व इंटर गणित का फर्जी प्रश्नपत्र वायरल
- सौ दिन क्या होगा काम, आज से सीएम योगी करेंगे समीक्षा; मंत्रियों व अफसरों के लिए लक्ष्य भी होगा तय
- डोर-टू-डोर जाकर सर्वे करेंगे शिक्षक : CM YOGI
- जूनियर एडेड शिक्षक अभ्यर्थियों ने 6000 पदों की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, CM को ज्ञापन देने जा रहे हैं अभ्यर्थियों को पुलिस रोका
- 123 शिक्षकों को बीएसए ने दिया नोटिस, जानें क्या है मामला
जब कोरोना का प्रकोप कम हुआ और विद्यालय खुला तो विद्यार्थियों ने आने में रुचि नहीं दिखाई। करीब एक माह तक गांव में घर-घर जाकर शिक्षकों ने अभिभावकों से संपर्क किया। इसके साथ ही विद्यालय की साज सज्जा प्राइवेट विद्यालयों की तरह की गई उसके बाद अभिभावकों ने भी साथ दिया। उन्होंने बताया कि एमडीएम के तहत प्रत्येक सोमवार को फल, बुधवार को दूध का वितरण बच्चों में किया जाता है। सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। विद्यालय में पानी के लिए आरओ सिस्टम लगा हुआ है। परिसर को साफ रखने में बच्चों भी मदद करते हैं।