इंदौर। शिक्षकों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए शिक्षकों की सबसे पुरानी संस्था (शिक्षक पेढ़ी) सहकारी कार्य संस्था शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश मर्यादित इंदौर ने सदस्यों की ऋण की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दी है। इस संबंध में संस्था के संचालक मंडल ने यह निर्णय लिया है। इससे पहले तक सदस्य तीन लाख तक ही लोन ले पाते थे।
ज्ञात हाे कि शिक्षक पेढ़ी के संचालक मंडल ने हाल ही में शिक्षक संवर्ग के समस्त अध्यापक वर्ग जिनका संविलियन शिक्षा विभाग में हो गया है, उन्हें सदस्य बनाने के लिए आयु सीमा भी 50 वर्ष कर दी है। जबकि पहले 45 वर्ष आयु के शिक्षक ही सदस्य बन पाते थे, किंतु साथी शिक्षकों की मांग को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। अब अधिक से अधिक शिक्षक साथी सहकारिता के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक रूप से उन्नति कर सकेंगे।
इसके तहत नियमित सदस्यों को ऋण समायोजन की सुविधा भी लागू कर दी गई है। नवीन सदस्यों को भी त्वरित ऋण लेने की सुविधा प्रदान की गई है। संचालक मंडल ने सभी सदस्यों एवं शिक्षकों से लाभ लेने की अपील की है। इंदौर के अलावा प्रदेश के धार, बड़वानी, देवास, व अन्य शहरों के भी सदस्य शामिल हैं।
इधर,आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ फिर से आंदोलन की तैयारी में-
वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में सक्रिय आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ के स्वयंभू अध्यक्ष भरत पटेल एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले भी वह कई आंदोलन कर चुके हैं परंतु कभी सत्ता का सिंहासन नहीं हिला पाए उल्टा सरकार ने जरूर कई बार उनकी जड़ें और अस्तित्व हिला कर रख दिया।
इस बार आंदोलन का कारण पुरानी पेंशन, क्रमोन्नति एवं पदोन्नती बताया गया है। सबसे पहले पूरे प्रदेश में शिक्षकों के बीच माहौल बनाने के लिए 19 अगस्त को जिला स्तर पर बैठक आयोजित की जाएगी।
अखबारों में प्रेस नोट छपवाए जाएंगे। फिर 4 सितंबर भोपाल में बैठक का आयोजन किया गया है। पिछली बार की तरह इस बार भी पहली बैठक छिंदवाड़ा में की जाएगी। इसके बाद मंदसौर और भिंड में बड़ी बैठक का आयोजन किया जाएगा।
पिछली बार आजाद अध्यापक संघ ने 01 मई 2022 को विदिशा के श्रीगणेश मंदिर से ध्वज यात्रा शुरू की थी। 65 किलो मीटर की इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। इस यात्रा को भोपाल की सीमा पर सूखीसेवनिया में पुलिस ने रोक दिया था और शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री के सलाहकार शिव चौबे ने भरोसा दिलाया था कि 15 दिन में उनकी मांगों पर विचार का निर्णय लिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ उल्टा आजाद अध्यापक शिक्षक संघ से जुड़े हुए कर्मचारी नेताओं के खिलाफ विभागीय लिखा पढ़ी शुरू हो गई।
इसके कारण प्रांतीय नेताओं का कॉन्फिडेंस भी कमजोर हो गया है। मुरलीधर पाटीदार की तरह अनशन पर बैठने की हिम्मत फिलहाल किसी कर्मचारी नेता में दिखाई नहीं देती। देखते हैं भरत पटेल का यह आंदोलन किसके लिए कितना लाभकारी साबित होगा।