यूपी के राजकीय विद्यालयों के 122 शिक्षकों का चुपके से तबादला कर दिए जाने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि रविवार को अवकाश का दिन होने के बावजूद शिक्षा निदेशालय खुलवाकर शिक्षकों के तबादले का आदेश जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों को भेजा गया।
इस पर शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। राजकीय शिक्षक संघ भड़ाना गुट के प्रदेश महामंत्री डॉ. रवि भूषण और पांडेय गुट के प्रदेश महामंत्री रामेश्वर पांडेय का कहना है कि ऑफलाइन तबादले पारदर्शी व्यवस्था पर सवाल है। आखिरकार शिक्षकों के तबादले में भी वीआईपी कल्चर कहां तक उचित है।
सूत्रों के अनुसार ऊंची पहुंच रखने वाले हजारों शिक्षकों ने मनमाने जिले और स्कूल में तबादले के लिए आवेदन किया था। लेकिन मंत्री ने 122 शिक्षकों के तबादले को ही अनुमोदित किया। अपर निदेशक राजकीय कृष्ण कुमार गुप्ता का कहना है कि शासनादेश में ऑफलाइन तबादले का प्रावधान है। शासन की अनुमति पर ही तबादला आदेश जारी हुए हैं।
अर्हता विवाद में दांव पर 134 शिक्षकों का भविष्य
अर्हता विवाद में 134 शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। राजकीय
विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) पर चयनित शिक्षक सितंबर 2020
में परिणाम घोषित होने के बाद से दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं। उत्तर
प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एलटी ग्रेड भर्ती के लिए 15 मार्च से 16 अप्रैल
2018 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। 16 अप्रैल तक अभ्यर्थियों के पास शैक्षिक
योग्यता पूरी होनी थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर आयोग ने आवेदन की अंतिम
तिथि बढ़ाकर चार से 14 जून कर दी थी।
इस बीच 29 अप्रैल को घोषित यूपी बोर्ड के 12वीं के परिणाम में तमाम अभ्यर्थियों ने इंटर में संस्कृत की आवश्यक अर्हता पूरी करते हुए आवेदन कर दिया। सितंबर 2020 को घोषित परिणाम में 134 ऐसे अभ्यर्थी सफल हुए जिन्होंने 29 अप्रैल को आवश्यकता अर्हता हासिल की थी। लेकिन आयोग ने इनके चयन की फाइलें रोक दीं।