UP News: सहायक शिक्षकों को भी अब आसानी से मिल सकेगा राज्य पुरस्कार, सीएम योगी ने बनाई यह योजना

 UP Latest News: लखनऊ [धर्मेश अवस्थी]। नए-नए तरीके अपनाकर विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को खुश करने वाली खबर है। सरकार राज्य अध्यापक पुरस्कार का दायरा बढ़ाने जा रही है, ताकि अधिक शिक्षकों को उनकी बेमिसाल सेवा का पारितोषिक दिया जा सके। माध्यमिक शिक्षा में पुरस्कार पाने वालों की संख्या दोगुनी करने की तैयारी है। विभाग इस पर मंथन कर रहा है, जल्द ही दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था बेहतर करने पर विशेष जोर है। शिक्षकों को अच्छे कार्य के बदले पुरस्कृत कराने के लिए वे लगातार निर्देश देते रहे हैं। बीते साेमवार को उनके समक्ष माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राज्य अध्यापक व मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार देने का प्रस्तुतीकरण किया।

इस दौरान उन्हें बताया गया कि राज्य अध्यापक पुरस्कार आठ शिक्षकों व एक शिक्षक प्रशिक्षक को हर वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर दिया जाता है, वहीं मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार 18 शिक्षकों को मिलता है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य अध्यापक पुरस्कार पाने वालों की संख्या बहुत कम है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि कई अच्छे शिक्षक इस पुरस्कार को पाने से वंचित रह जाते हैं। ज्ञात हो कि राज्य अध्यापक पुरस्कार पाने वालों में अधिकांश प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापक ही हैं, बहुत कम सहायक अध्यापक या प्रवक्ताओं का चयन हो पाता है।

अब संख्या बढ़ने से उन्हें अवसर मिल सकेगा और विद्यालयों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। तैयारी है कि राज्य अध्यापक पुरस्कार की संख्या बढ़ाकर 18 कर दी जाए, ताकि कम से कम हर मंडल से एक शिक्षक का सम्मान हो सके। हालांकि मुख्यमंत्री हर जिले में एक शिक्षक को पुरस्कृत करने के पक्षधर हैं। पिछले वर्ष कोरोना काल के विकट दौर में हर जिले में 75-75 शिक्षकों को सम्मानित किया गया था।

माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले प्रमुख विषयों हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत आदि के अच्छे शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा। इनका चयन कुल शिक्षक संख्या को देखते हुए सही अनुपात में किया जाना है।

ज्ञात हो कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला के निर्देश पर राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए माध्यमिक शिक्षकों से 13 अगस्त से आवेदन लिए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश के राजकीय, अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, अध्यापकों से आवेदन कर सकते हैं। विभाग जल्द इसमें बदलाव कर सकता है।