12460 भर्ती में नौकरी पाए साथी ध्यान दें....
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई विशेष।
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👉 लगभग 6 बरस बीतने को हैं लेकिन मेरिट के दम पर काबिलियत का ढिंढोरा पीटने वाले शून्य के कुछ नेता 1 लाख 37 हजार से ज्यादा की भर्ती में भी अपनी नाकाबिलियत की वजह से असफल रहे..... अंततः 12460 भर्ती को निगलने का ख्वाब देखने वालों के लिए यही भर्ती जीवन पर्यंत दाल रोटी का जुगाड करेगी...
👉 हमारी पूरी टीम शुरुआत से कहती थी कि जिला वरीयता के नियम को चुनौती देना मूर्खता है और शून्य जनपद को अपने पार्टिसिपेशन के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए... अन्ततः जिला वरीयता को चुनौती देने वाले जब हाईकोर्ट से रगड़ दिए गए तब जाकर मजबूरी में इनको पार्टिसिपेशन की लड़ाई लड़नी पड़ी और नतीजतन सबको नौकरी भी मिली।
👉 हमने सोचा था कि नौकरी मिलने के बाद नेतागिरी का फर्जी शौक कुछ कम हो जायेगा लेकिन अभी की स्थिति ये है कि इनकी बुद्धि को घमण्ड का दीमक लग गया है.... कल सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लगा है और जिला वरीयता के नियम को चुनौती देने वाली शून्य जनपद की याचिका सूचीबद्ध है लेकिन ये मुकदमा वापस लेने के लिए तैयार नही है।
👉 क्या हास्यास्पद स्थिति है, जिस नियम के रहते नौकरी पाए, जिस नियम से भर्ती का आधार है, उसी नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर बैठे हैं....
👉 इस समय नियम 14(१) को चुनौती देने वालों को चाहिए कि कल अपनी SLP को वापस ले लें अन्यथा की स्थिति में हमको कुछ ऐसे निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा जो हम कतई नहीं चाहते...
👉 हम कोई संघर्ष शुरू नही करना चाहते लेकिन घमंड से वशीभूत होकर यदि तुमने कोई मन बना रखा है तो हम इस न्यायिक संघर्ष को टाल नही पाएंगे....
शेष तुम्हारी बुद्धि...
धन्यवाद
कुलदीप एंड टीम