नई दिल्ली : आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी दे सकती है। यह खुशखबरी एनपीएस में शामिल केंद्रीय कर्मचारियों को पेंशन
की एक निश्चित गारंटी के रूप में हो सकती है। ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को आखिरी सेलरी की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में निर्धारित की जाती है और फिर महंगाई भत्ते के साथ ही उनकी पेंशन भी बढ़ती रहती है।एक जनवरी 2004 से या उसके बाद नौकरी ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों की पेंशन के लिए एनपीएस प्रणाली लागू की गई, जिसके तहत कर्मचारी व सरकार दोनों एक निश्चित राशि एनपीएस फंड में जमा करते हैं और यह फंड मार्केट से जुड़ा है। मार्केट के रिटर्न के हिसाब से कर्मचारियों को पेंशन दी जाएगी। पिछले साल कई राज्यों की तरफ से फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने भी एनपीएस की समीक्षा के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। सूत्रों के अनुसार कमेटी की रिपोर्ट लगभग तैयार है। जिसके मुताबिक एनपीएस के तहत भी केंद्रीय कर्मचारियों को उनके आखिरी वेतन की एक निश्चित प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिल सकती है। सरकार आखिरी वेतन की 35-40 प्रतिशत राशि पेंशन के लिए निर्धारित कर सकती है। हालांकि, इस फैसले से सरकार पर वित्तीय
बोझ भी पड़ेगा, क्योंकि बहुत सारे ऐसे कर्मचारी होंगे जिनके एनपीएस फंड से आखिरी सेलरी की 35-40 प्रतिशत (जो भी निर्धारित होता है) तक की राशि पेंशन के रूप में देना संभव नहीं होगा। ऐसे में फंड से मिलने वाली राशि और न्यूनतम निर्धारित पेंशन राशि के बीच जो अंतर होगा, उसकी भरपाई सरकार अपने खजाने से करेगी।
मान लीजिए किसी व्यक्ति की अंतिम सेलरी एक लाख है और सरकार आखिरी सेलरी का 40 प्रतिशत निर्धारित करती है, तो उसे 40,000 रुपये पेंशन दी जाएगी, लेकिन एनपीएस फंड के रिटर्न के हिसाब से उसे मासिक 35,000 रुपये ही दिए जा सकते हैं, तो बच्चे हुए पांच हजार सरकार अपने पास से देगी, लेकिन ओपीएस की तरह एनपीएस को महंगाई भत्ते से नहीं जोड़ने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। इससे सरकार पर अधिक वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा।
ओपीएस में करदाताओं के पैसे से दी जाती है पेंशन
ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के तहत सरकारी कर्मचारियों को पूरी तरह से करदाताओं के पैसे से पेंशन दी जाती है, क्योंकि इस पेंशन में उनका कोई आर्थिक योगदान नहीं होता। महंगाई भत्ता में बढ़ोतरी के साथ कर्मचारियों की पेंशन भी बढ़ती जाती है और इसके
साथ ही सरकारी खजाने पर भी दबाव बढ़ता जाता है। सूत्रों के मुताबिक सरकार अप्रैल से आरंभ होने वाले नए वित्त वर्ष में वित्त सचिव की रिपोर्ट पर फैसला ले सकती है। फैसले से पहले विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श भी किए जाएंगे।