हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स कटौती का फैसला अब नवंबर में
नई दिल्लीः हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी घटाने की मांग पर सोमवार को जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि काउंसिल की बैठक में हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी संबंधी कई सवालों पर विचार किए गए। जैसे कि क्या सिर्फ बुजुर्गों को हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी से राहत दी जाए, सामूहिक हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी लगना चाहिए या नहीं। इस प्रकार के मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के जीएसटी मुद्दे के लिए बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया गया है। जीओएम से आगामी अक्टूबर के आखिर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि नवंबर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन
इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी पर फैसला लिया जाएगा। एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद पहले वर्ष का औसत कर संग्रह 90,000 करोड़ रुपया रहा जबकि वर्तमान में मासिक सकल जीएसटी संग्रह लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जीएसटी के लागू होने से पहले बीमा प्रीमियम पर सेवा कर लगता था।
कंपनसेशन सेस के नए प्रारूप के लिए जीओएमः काउंसिल की बैठक में कंपनसेशन सेस (क्षतिपूर्ति उपकर) के नए प्रारूप को लेकर नए जीओएम का गठन किया गया। मौजूदा व्यवस्था के तहत कंपनसेशन सेस वर्ष 2026 के मार्च तक सरकार वसूल सकती है। कंपनसेशन सेस की अवधि जीएसटी लागू होने के
बाद पांच साल के लिए तय की गई थी और इसकी अवधि जुलाई, 2022 में खत्म हो रही थी, लेकिन कोरोना काल में कंपनसेशन सेस की वसूली नहीं हो सकी। उस समय केंद्र ने राज्यों को कंपनसेशन सेस के भुगतान के लिए बैंक से लोन लिया और उस लोन के भुगतान के लिए मार्च 2026 तक कंपनसेशन सेस की वसूली का प्रविधान किया गया। वित्त मंत्री ने बताया कि मार्च, 2026 से पहले ही लोन चुका दिया जाए तो फिर कंपनसेशन सेस का क्या नाम होगा, उसे किस रूप में जारी रखा जाएगा जैसे विषयों पर सहमति के लिए जीओएम का गठन किया गया है। जीओएम के गठन से यह तय हो गया कि मार्च 2026 के बाद कंपनसेशन सेस खत्म नहीं होगा।