प्रयागराजः संस्कृत शिक्षा को लेकर बड़ी पहल की गई है। सरकार आश्रम, न्यास, मठ, मंदिर के स्वामित्व में संचालित निजी आवासीय संस्कृत विद्यालयों को अनुदान सूची (एड) पर लेने की तैयारी में है। शासन स्तर पर हुई बैठक के निर्णय के क्रम में विशेष सचिव आलोक कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र जारी कर इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है। इसमें ऐसे निजी विद्यालयों को शामिल किए जाएगा, जिसमें निश्शुल्क छात्रावास व खाने की समुचित व्यवस्था हो। ऐसी संस्थाओं को विद्यालय संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित संख्या में शिक्षक के वेतन के लिए अनुदान की व्यवस्था की जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में बिंदुवार स्पष्ट किया गया है कि किस तरह के विद्यालय अनुदान सूची पर लिए जाएंगे। कहा गया है कि पूर्व से संचालित ऐसे स्ववित्तपोषित आवासीय संस्कृत विद्यालयों को इसमें सम्मिलित किया जाए, जो तय किए गए मानक के अनुरूप हों। विद्यालय की भूमि व भवन संबंधित प्रबंधन का होना आवश्यक है। विद्यालय पूर्णतया आवासीय होना चाहिए तथा छात्रावास एवं अध्ययन के लिए अलग-अलग कैंपस की व्यवस्था होनी चाहिए। विद्यालय
द्वारा निश्शुल्क छात्रावास व खाने की समुचित व निश्शुल्क व्यवस्था को होना भी आवश्यक है। इसमें प्रबंधन द्वारा शिक्षकों का चयन अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के चयन के लिए निर्धारित योग्यता व मानक के अनुरूप किया जाएगा।
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शासन को इस संबंध में प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) उत्तर प्रदेश, प्रयागराज अध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि उप शिक्षा निदेशक संस्कृत उत्तर प्रदेश, प्रयागराज को सदस्य सचिव बनाया गया है। समिति से निदेशक ने आवासीय संस्कृत विद्यालयों के संचालन के संबंध में अविलंब प्रस्ताव मांगा है।